जींद : कपास की बिजाई से हुआ किसानों का मोह भंग

 


जींद, 30 जून (हि.स.)। प्री-मानसून के बाद क्षेत्र में धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है। प्री-मानसून के बाद अब मानसून ने भी हरियाणा में दस्तक दे दी है। धान की रोपाई के लिए किसान बारिश का इंतजार कर रहे थे। इस बार तापमान बढऩे से किसानों द्वारा्र धान रोपाई के लिए तैयार की गई प्योद भी खराब हुई। किसानों को प्रति एकड़ 1500 से दो हजार रुपए का नुकसान भी हुआ।

अब बारिश के बाद किसानों ने धान रोपाई शुरू कर दी है। इस बार धान की रोपाई क्षेत्र में अधिक होगी क्योंकि कपास की फसल में कई सालों से बीमारी आने के चलते उत्पादन कम हो रहा है। ऐसे में किसान अब कपास की बिजाई करने की बजाए धान की बिजाई करने लगे है। घोघडिय़ा, कसूहन सहित आस-पास के गांव जहां धान की रोपाई कम होती थी वहां भी किसान धान की रोपाई करने लगे है। धान की फसल की अधिक पानी वाली फसल माना जाता है। इन गांवों में पानी की कमी रहती है लेकिन अब समय के साथ पानी के संसाधन होने के चलते इन गांवो के किसानों ने कपास की फसल से अपना रूख मोडते हुए धान की रोपाई करनी शुरू कर दी है।

उचाना निवासी किसान कुलबीर, अमरजीत, सुखबीर ने कहा कि कुछ सालों से कपास की फसल में बीमारी का प्रकोप आने से उत्पादन कम हो रहा है। ऐसे में किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान होता है। धान की रोपाई की तरफ अब रूझान बढ़ रहा है। जिस एरिया में धान की रोपाई नहीं होती थी वहां भी अब होने लगी है। धान का उत्पादन उम्मीद के मुताबिक हो जाता है तो मंडी में आते ही फसल बिक जाती है। इसलिए कुछ सालों से कपास की बिजाई को छोड़ कर धान की रोपाई करने लगे है। दो दिन पहले हुई प्री-मानसून के बाद अब मानसून आने की उम्मीद है। तापमान बढऩे से जरूरी किसानों ने जो प्योद धान की लगाई थी वो खराब होने से किसानों को नुकसान हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजेंद्र