हिसार: जागृति से मन व हृदय की शुद्धि होने से अलग अनुभूति का होता अहसास: स्वामी संजय

 


ओशो ध्यान उपवन में जीवन में जागृति पर आधारित ध्यान सत्र का आयोजन

जीवन में जागृति पर आधारित ध्यान सत्र में विभिन्न क्षेत्रों से साधकों ने की शिरकत

हिसार, 26 मई (हि.स.)। ओशो ध्यान उपवन में जीवन में जागृति पर आधारित ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। होशपूर्ण जीवन जीने के उपायों पर आधारित इस सत्र में विभिन्न क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।

स्वामी संजय ने रविवार को आयोजति इस सत्र में बताया कि शारीरिक तल पर जागृति, मन के तल पर जागृति व हृदय के तल पर जागृति होती है। तीनों तलों पर जागृति होने से शरीर शुद्धि, मन शुद्धि व हृदय की शुद्धि सुनिश्चित हो जाती है और मनुष्य को अलग ही अनुभूति का एहसास होता है। उन्होंने कहा कि जागृति से मनुष्य के भीतर परम चीज उतरने की संभावना होती है। जैसे-जैसे मनुष्य जागृत होता है व्यक्ति स्वयं ही परमात्मा हो जाता है।

स्वामी संजय ने बताया कि सतगुरु ओशो ने भी मनुष्य की जागृति से संबंधित अनेक प्रवचन देकर समझाया है। संत ओशो ने संचित प्रवचनों में कहा है कि एक काम भीतर सतत करते रहो। जो कुछ भी करो उसे करते हुए खुद के प्रति जागरूक रहो। तुम भोजन कर रहे हो, चल रहे हो, सुन रहे हो, बोल रहे हो या क्रोध कर रहे हर क्रिया में जागरूक रहो। संत ओशो कहते हैं कि जागरूकता में पाप टिक नहीं सकता और जागरूकता में पुण्य बढ़ता है। पाप और पुण्य सामाजिक अवधारणा नहीं है, वे भीतर के बोध हैं। जागरूकता का उपयोग वैसा ही है जैसे जहां अंधेरा हो और तुम वहां प्रकाश ले आते हो।

स्वामी संजय ने बताया कि ध्यान सत्र के समापन पर बच्चों से संबंधित शिविर के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि बच्चों के बहुआयामी विकास के लिए 2 से 6 जून तक ओशो ध्यान उपवन परिसर में पांच दिवसीय चिल्डर्न मेडिटेशन व सेलिब्रेशन रिट्रीट शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर में बच्चे एनएलपी तकनीक, रोप एडवेंचर, ब्रेन जिम, योग, आर्ट एंड क्राफ्ट, मड बाथ, रेन डांस, गायन, नृत्य व फन एक्टिविटी सहित कई तरह की रचनात्मक क्रियाओं में हिस्सा लेंगे। स्वामी संजय ने साधकों से आह्वान किया कि 2 से 6 जून तक लगने वाले शिविर में अधिक से अधिक बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए ताकि बच्चों को मेडिटेशन सहित विभिन्न विषयों का ज्ञान हो सके।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव