कैथल: राजपूत और गुर्जर समाज ने नहीं दिए वकीलों के नाम, कमेटी की बैठक स्थगित
अमित आर्य ने मामले को गुर्जर बनाम क्षत्रिय किए जाने पर जताई आपत्ति
कैथल, 27 अक्तूबर (हि.स.)। सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर राजपूत और गुर्जर समाज में विवाद चल रहा है। राजपूत समाज के लोग 18 अक्टूबर को कैथल में महापंचायत कर चुके हैं। उसके बाद 20 अक्टूबर को सरकार ने इस विवाद को सुलझाने के लिए आठ सदस्यों की कमेटी बना दी थी। शुक्रवार को इस कमेटी की पहली बैठक कैथल में होनी थी, जिसमें गुर्जर और राजपूत समाज की ओर से अपने-अपने वकीलों के नाम दिए जाने थे। दोनों पक्षों में कोई भी लघु सचिवालय में नहीं पहुंचा। इसके चलते बैठक स्थगित कर दी गई।
क्षत्रिय बनाम गुर्जर लिखे जाने पर आपत्ति जताई
दूसरी तरफ, अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री अमित आर्य ने कमेटी गठन के आदेशों में क्षत्रिय बनाम गुर्जर लिखे जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह राजपूत बनाम गुर्जर होना चाहिए था, क्योंकि क्षत्रिय एक वर्ण है न कि कोई जाति। इसका ज्ञापन उन्होंने डीसी को सौंपा। पत्रकारों से बातचीत में अमित आर्य ने बताया कि हरियाणा सरकार की ओर से गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज के इतिहास से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, उसको लेकर संगठन ने अपनी आपत्ति राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भिजवा दी है। उनकी पहली आपत्ति यह है कि कमेटी में क्षत्रिय बनाम गुर्जर लिखा है जोकि सरासर गलत है। यहां पर राजपूत बनाम गुर्जर होना चाहिए। क्षत्रिय एक वर्ण है ये कोई जाति नहीं है। एक तरफ तो सरकार गीता जयंती मनवाती है और दूसरी तरफ गीता में लिखे हुए तथ्यों की अनदेखी करती है।
उन्होंने कहा कि गीता के अध्याय 4 के श्लोक संख्या 13 पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र वर्णों का चयन गुण कर्म और स्वभाव के अनुसार होता है यह जन्म के अनुसार नहीं होता। फिर उन्होंने कमेटी बनाते समय इसकी अनदेखी कैसे कर दी। भारत के इतिहास में राजपूत जाति का 1300 ईसवीं से पहले कोई वर्णन नहीं मिलता। फिर किस आधार पर सरकार द्वारा बनाई कमेटी में इन्हें क्षत्रिय लिखा गया है। राजपूत समाज के जाति प्रमाण-पत्र में भी इन्हें राजपूत ही लिखा गया है।
भारतीय सेना में जो रेजीमेंट है वह भी राजपूत के नाम से ही है। यह लोग क्षत्रिय का प्रयोग केवल मात्र छल करने के लिए कर रहे हैं, जिससे कि इतिहास के तथ्यों को छिपाया जा सके और सच्चाई देश के सामने ना आ पाए। आर्य ने मांग की कि इस केस में अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा पक्षकार है और कमेटी में गुर्जर समाज से प्रतिनिधि के रूप में आचार्य वीरेंद्र विक्रम को शामिल किया जाए। इस अवसर पर सन्नी गुर्जर, नीटा गुर्जर, विनय पवार उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/ नरेश