कैथल: कभी दिवाली में जम कर खरीदे खाये जाते थे, अब शगुन रह गए खील, पतासे
कैथल में सालाना करोड़ों रुपए का कारोबार सिमट कर रह गया 10 लाख रुपए का
नरेश भारद्वाज
कैथल, 9 नवंबर (हि.स.)। एक जमाना था जब दीपावली की पूजा के दौरान मां लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन में मिठाइयों के साथ खील, पताशे और चीनी से बने खिलौनों का भी भोग लगाया जाता था। दीपावली के कई दिनों के बाद तक भी परिवार के लोग आपस में बैठकर खील को बताशों और खिलौनों के साथ खाते हैं।
कढ़ाई में खील को घी, नमक और मसाले के साथ हल्का भूनकर खाना भी काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। कैथल में कभी खेल पतासे और चीनी के खिलौने का करोड़ों रुपए का कारोबार होता था। यहां से इन चीजों का व्यापार पंजाब राजस्थान और हिमाचल तक किया जाता था। देहात के लोग त्योहार के दिनों में रिश्तेदारों के यहां भी पतासे और चीनी के खिलौने भेजते थे। पुरानी मंडी में पतासे और खिलौने बनाने के लिए कारीगर महीनो मेहनत किया करते थे। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश से भी कारीगर कैथल आते थे। खिलौने हाथी, घोड़ा, गाय, बैल, ताजमहल, शेर, मीनार, मछली, बत्तख, झोपड़ी और मुर्गे जैसी आकृति के होते हैं। ये खाने में कुरकुरे और चीनी की वजह से बहुत मीठे होते हैं। चीनी से चाशनी बनाकर इसे लकड़ी के सांचों में डाल देते हैं, जो ठंडा होने के बाद अपना आकार ले लेते हैं।
परंपरा में और शोक बदलने से सिमटा कारोबार,अब केवल शगुन के लिए खरीदते हैं खिलौने पताशा और खिलौने बनाने के कारीगर सूरज बताते हैं कि चीनी के व्यापारी त्योहार के दिनों में चीनी की हटड़ी और खिलौने बनाने का कारोबार भी करते थे। बाजारों में दीपावली के महीने भर पहले ही खील, बताशे और खिलौनों की बिक्री शुरू हो जाती है। इसके लिए कारोबारी भी खास तैयारियां करते हैं। लेकिन अब लोगों की पसंद बदली है। इसलिए खील खिलौने की खरीदारी शगुन के तौर पर होने लगी है। पताशा का व्यापार करने वाले लाला हरी राम बताते हैं कि अब पताशे, हठरी और चीनी खिलौने बांटने का चलन काफी कम हुआ है। पहले हर परिवार 5-5 किलो बताशे और खिलौने खरीदता था। बहन-बेटियों को त्योहारों पर खूब खील, बताशे, हठरी और खिलौने दिए जाते थे। दीपावली पर स्टील या पीतल की थाली में 11 किलो की हठरी रखी जाती था। अब सिर्फ परंपरा निभाने के लिए थोड़े बहुत बताशे, खिलौने और हठरी खरीदी जा रही है, क्योंकि पूजा में इनका उपयोग होता है।
हिन्दुस्थान समाचार/ नरेश/संजीव