नारनौलः हकेवि के संकाय सदस्य पशुओं के घाव के उपचार के लिए करेंगे कार्य
नारनाैल, 3 सितंबर (हि.स.)। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) महेंद्रगढ़ की टीम को भारतीय ज्ञान परम्परा (आईकेएस) के इंटर्नशिप कार्यक्रम 2024-2025 के अंतर्गत पशुधन के घाव के उपचार के लिए माथा थैलम के नए फॉर्मूलेशन की संशोधित रोगाणुरोधी क्षमता की खोज हेतु परियोजना को मंजूरी मिली है। मंगलवार को विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने आईकेएस, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार से अनुदान प्राप्त करने के लिए परियोजना टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह निश्चित रूप से विश्वविद्यालय में शोध गतिविधियों को बढ़ावा देगा। साथ ही भारतीय ज्ञान प्रणालियों को बढ़ाने में भी यह मददगार साबित होगा।
उन्होंने बताया कि परियोजना हेतु विश्वविद्यालय के फार्मास्युटिकल साइंसेज विभाग की डा. मनीषा पांडे को प्रधान अन्वेषक, माइक्रोबायोलॉजी विभाग से प्रो. सुरेन्द्र सिंह तथा फार्मास्युटिकल साइंसेज विभाग से डा. तरुण कुमार को सहप्रधान अन्वेषक नियुक्त किया गया है। विश्वविद्यालय की समकुलपति, प्रो. सुषमा यादव कुलसचिव, सुनील कुमार शोध अधिष्ठाता, प्रो. पवन कुमार शर्मा स्कूल ऑफ इंटडिसिप्लिनरी एंड एप्लाइड साइंसेस के अधिष्ठाता, प्रो. दिनेश कुमार गुप्ता एवं फार्मास्युटिकल साइंसेज विभाग के विभागाध्यक्ष डा. दिनेश कुमार ने भी परियोजना टीम को बधाई दी।
यहां बता दें कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस प्रभाग की स्थापना भारतीय ज्ञान परम्परा (आईकेएस) के विभिन्न पहलुओं पर अंतःविषय और बहुविषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा शोध व सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए भारतीय ज्ञान को संरक्षित एवं प्रसारित करने के उद्देश्य से की गई। इसी उद्देश्य से शोध एवं अनुसंधान में युवाओं की भागीदारी एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के लिए इंटर्नशिप कार्यक्रम 2024-2025 की शुरुआत की गई। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय की टीम को स्वीकृत परियोजना का उद्देश्य पशुओं के घाव भरने और संक्रमण के लिए पारंपरिक औषधि के नवीन फॉर्मूलेशन के विकास के लिए प्रयास करना है। यह नया फार्मूला घाव की जगह पर लंबे समय तक बना रहेगा, जिससे पशुओं में बेहतर उपचार में मदद मिलेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्याम सुंदर शुक्ला