नारनौलः हरियाणा की बेटी गरिमा को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

 


नारनौल, 24 जनवरी (हि.स.)। नारनौल की बेटी गरिमा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। 9 वर्षीय गरिमा झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाती है।गरिमा एक दृष्टि बाधित लड़की है। वह साक्षर पाठशाला नामक अपनी पहल के माध्यम से वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ पाठ्य सामग्री भी वितरित करती है।

गरिमा अब तक सेंकड़ों बच्चों को पाठ्य सामग्री वितरित कर चुकी है। गरिमा फिलहाल 9 साल की हैं। वह चौथी क्लास में पढ़ती हैं। गरिमा बचपन से ही दृष्टि बाधित हैं, लेकिन उसका हौसला बहुत बुलंद है। यही कारण है कि वो अब लैपटॉप भी आसानी से चला लेती हैं। जिला के मंडी अटेली से करीब 8 किलोमीटर दूरी पर नावदी गांव निवासी गरिमा यादव का जन्म नारनौल के एक निजी अस्पताल में हुआ था।

जन्म के समय से ही गरिमा दृष्टि बाधित है। उनके पिता डा. नरेंद्र दिल्ली में अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। वही गरिमा की मां ब्रेल एक्सपर्ट हैं। इसलिए गरिमा 3 साल की उम्र के बाद दिल्ली के ब्लाइंड स्कूल में पढ़ने लग गई थी। गरिमा को अपने पिता से बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा मिली। उनके पिता शुरू से ही सामाजिक कार्यों में रुचि रखते थे। वो झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने भी जाते थे। यहीं से गरिमा में भी बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा मिली, जिसके बाद गरिमा ने भी अपने पिता के सामने इन बच्चों को पढ़ाने और इनको पढ़ाई के लिए पाठ्य सामग्री वितरित करने की इच्छा जताई। इसके बाद गरिमा ने भी अपनी पढ़ाई के साथ-साथ नारनौल, अटेली और रेवाड़ी के आसपास रहने वाले झुग्गियों के बच्चों को पढ़ाना और उनको पाठ्य सामग्री देना शुरू कर दिया।

गरिमा अब तक करीब एक हजार बच्चों को पाठ्य सामग्री वितरित कर चुकी हैं। गरिमा की इस उपलब्धि पर उनके गांव नावदी में काफी खुशी का माहौल है। ग्रामीणों ने बताया कि गरिमा की इस उपलब्धि पर होने गर्व है गरिमा ने केवल अपने माता-पिता का ही नहीं बल्कि गांव जिला और प्रदेश का नाम भी पूरे देश में रोशन किया है। ग्रामीणों ने कहा कि गरिमा भले ही आंखों से दृष्टि बाधित हो, लेकिन उसने अपनी बड़ी सोच के कारण बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्याम/संजीव