नारनौलः सरकार स्वांग लोक कला को बचाने के लिए युवाओं की कर रही मदद

 




नारनौल, 8 दिसंबर (हि.स.)। नारनौल शहर के युवा रंगकर्मी सुनील सोनी को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा रंगकर्म के क्षेत्र में उत्कृष्ट व्यक्तियों को मिलने वाली कनिष्ठ अध्येतावृत्ति (जूनियर फेलोशिप) के लिए चुना गया है।

प्रसिद्ध लोक गायक मनमोहन सोनी ने शुक्रवार को बताया कि स्वांग हरियाणा की पुरानी परंपरा का पालन करता है, जो 16वीं शताब्दी से चली आ रही है। स्वांग एक विलुप्त होती जा रही लोक कला है। इस कला को बचाने के लिए सरकार काफ़ी मदद कर रही है। हरियाणा में रंगमंच को नाट्य नाटक कहा जाता है। जो संगीत, नृत्य, कविता और भाषण का मिश्रण है। इस प्रकार यह ‘खुले मंच’ तकनीक पर आधारित प्रदर्शन की सबसे लोकप्रिय विविधता है। सांग हरियाणा का ग्रामीण लोक नाटक है, जो प्रेम, वीरता, बलिदान, हास्य और जो कुछ भी मानव मन में रुचि रखता है, उसकी पौराणिक और आधुनिक कहानियों को दर्शाता है।

उन्होंने बताया कि रामलीला की परंपरा से आने वाले सुनील सोनी ने अपना विषय हरियाणा की लोक शैली स्वांग के परिदृश्य से मोहन-राकेश के नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन का अध्ययन’ चुना है। इस सिलसिले में वे नारनौल शहर और उसके आस-पास के गांव में रहने वाले स्वाँग के लोक कलाकारों से साक्षात्कार कर रहे हैं। सुनील से संपर्क किए जाने पर उन्होंने बताया कि स्वांग एक विलुप्त होती जा रही लोक कला है इस कला को बचाने के लिए सरकार भी काफ़ी मदद कर रही है। मेरे जैसे युवा रंगकर्मी भी उत्साह के साथ इसमें भाग ले रहे है और लोक कला को बचाने के अथक प्रयास कर रहे है। उन्होंने बताया कि वे हरियाणवी संस्कृति के प्रति गहरा लगाव रखते है। वे लोक शैलियों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति प्रतिबद्ध है तथा स्वाँग के लेखन व प्रस्तुति की विधा का प्रशिक्षण भी ले रहे है। सुनील सोनी की इस उपलब्धि पर कमल तिवारी, सत्यनारायण हरित, शिंभू दयाल, बलवान सैनी आदि संगीत विशारदों ने प्रशंसा व्यक्त की है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्याम/संजीव