हिसार : गुजवि को अपशिष्ट कागज पुनर्चक्रण में पर्यावरण के अनुकूल एवं कुशल डिंकिंग विधि के लिए नया पेटेंट मिला

 


प्रो. नमिता सिंह व उनकी टीम को 20 वर्षों के लिए मिला पेटेंट

पेटेंट विश्वविद्यालय के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

हिसार, 28 अगस्त (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रो. नमिता सिंह तथा उनके दो शोधार्थियों को 'अपशिष्ट कागज के पुनर्चक्रण के दौरान डिंकिंग के लिए एक नवीन और कुशल विधि' नाम से पेटेंट मिला है। प्रो. नमिता सिंह व उनकी टीम को ये पेटेंट 20 वर्षों के लिए प्रदान किया गया है। यह पेटेंट पुनर्चक्रण उद्योग (रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री) तथा परिपत्र अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनोमी) क्षेत्र के लिए विशेष उपयोगी है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने इस पेटेंट को विश्वविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण बताया है तथा प्रो. नमिता सिंह व उनकी टीम के शोधार्थियों डॉ. अनीता देवी व डॉ. रजनीश जरयाल को बधाई दी है। प्रो. नमिता सिंह व उनकी माइक्रोबायल बायोटेक्नोलॉजी लैब की शोधार्थियों ने पेटेंट प्रमाण पत्र की कॉपी कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई को प्रस्तुत की। इस शोध के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार द्वारा समर्थित किया गया था और इसे आधिकारिक तौर पर पेटेंट कार्यालय, भारत सरकार द्वारा मान्यता दी गई है।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने इस पेटेंट को विश्वविद्यालय के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया तथा कहा कि आने वाले वर्षों यह पेटेंट महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ उत्पन्न करने अत्यंत सहायक होगा। इससे अन्य शिक्षकों को भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने बुधवार को कहा कि शिक्षक व शोधार्थी शोध को मार्केटेबल प्रोडक्ट के रूप में विकसित करें तथा उसका पेटेंट अवश्य करवाएं। शोध समाज व राष्ट्र उपयोगी होना चाहिए। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए प्रो. नमिता सिंह व उनकी टीम को बधाई दी।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने भी प्रो. नमिता सिंह व उनकी टीम को इस पेटेंट के मिलने पर लिए बधाई दी। संकाय की अधिष्ठाता प्रो. आशा गुप्ता व विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल भानखड़ ने भी इस उपलब्धि पर प्रो. नमिता सिंह व उनकी टीम को बधाई दी है। आविष्कारक प्रो. नमिता सिंह, डॉ. अनीता देवी और डॉ. रजनीश जरयाल का मानना है कि उनका नवाचार रीसाइकिलिंग उद्योग में एक नया मानदंड स्थापित करेगा, जो पर्यावरण संरक्षण और संसाधन स्थिरता में वैश्विक प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस सफलता का रीसाइकिलिंग उद्योग और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वैश्विक प्रयासों दोनों पर दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है।

प्रो. नमिता सिंह ने बताया कि यह अभिनव विधि अत्यधिक कुशल, किफायती और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ समाधान प्रदान करके पुनर्चक्रण प्रक्रिया को बदलने के लिए तैयार है। पेटेंट की गई विधि कागज पुनर्चक्रण के सबसे चुनौतीपूर्ण पहलुओं में से एक को संबोधित करती है - पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना इस्तेमाल किए गए कागज से स्याही निकालना। पारंपरिक डिंकिंग विधियां अक्सर कठोर रसायनों पर निर्भर करती हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक हो सकते हैं लेकिन यह नया दृष्टिकोण ऐसे पदार्थों की आवश्यकता को समाप्त करता है, जिससे यह वास्तव में हरित तकनीक बन जाती है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर