हिसार : प्री-पीएचडी स्कॉलर्स के लिए रिसर्च एंड पब्लिकेशन एथिक्स-दो क्रेडिट अनिवार्य पेपर का नया बैच शुरू

 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक पहल, जो रिसर्च एथिक्स की मूल बातें समझने के लिए बहुत महत्वपूर्णहिसार, 29 नवंबर (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग में प्री-पीएचडी स्कॉलर्स के लिए रिसर्च एंड पब्लिकेशन एथिक्स-दो क्रेडिट अनिवार्य पेपर का एक नया बैच शुरू किया गया है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक पहल है जो रिसर्च एथिक्स की मूल बातें समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि, नैतिकता के बिना कोई भी अपने नागरिक जीवन के साथ-साथ पेशेवर जीवन में भी प्रगति नहीं कर सकता है। वर्तमान युग में, विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उभरने के बाद, शोध समितियों का उन्मुखीकरण बदल गया है और सूचना प्राप्त करने का पैटर्न बदल गया है। इसलिए शैक्षणिक प्रणाली की संप्रभुता को बनाए रखने के लिए, शोध और प्रकाशन नैतिकता पेपर निश्चित रूप से मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि नवीनतम उभरती हुई तकनीक ने हितधारकों के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अब तक का सबसे बड़ा मुद्दा अपहरक प्रकाशन है क्योंकि उनके नाम पर, विद्वान प्रशस्ति पत्र अर्जित नहीं कर सकते हैं। जिससे शोध मेट्रिक्स स्कोर शून्य हो जाएगा। प्रशस्ति पत्र विशेष विश्वविद्यालय के शोध की गुणवत्ता तय करता है।पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार ने अपने मुख्य भाषण के दौरान कहा कि अपहरक प्रकाशन हमारे एच-इंडेक्स के लिए बहुत हानिकारक हैं। उन्होंने कहा कि प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने के लिए विद्वान डॉ. भीम राव अंबेडकर लाइब्रेरी ई-रिपोजिटरी का उपयोग कर सकते हैं, जो बहुत समृद्ध है और अन्य ओपन एक्सेस प्लेटफॉर्म हैं ताकि हमें अपने शोध के लिए बेहतर उद्धरण मिल सकें। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नरेंद्र कुमार चौहान ने नागरिक एवं व्यावसायिक नैतिकता पर चर्चा की और मुख्य वक्ता के औपचारिक धन्यवाद करते हुए सत्र का समापन किया।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर