गुरुग्राम: मेक इन इंडिया चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए गेम चेंजर पहल: राज्यपाल

 


-राज्यपाल ने गुरुग्राम में मल्टी स्पेशलिटी रोबोटिक सर्जरी कांफ्रेंस में की शिरकत

गुरुग्राम, 20 जनवरी (हि.स.)। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि रोबोटिक सर्जरी मरीज व डॉक्टर दोनों के लिए किफायती है। ऐसे में हमें इस क्षेत्र में और अधिक नवाचार करने होंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में रोबोटिक क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव मदद की जाएगी। राज्यपाल शनिवार को यहां लीला होटल में आयोजित फस्र्ट ग्लोबल एसएस इनोवेशन मल्टी स्पेशलिटी रोबोटिक सर्जरी कांफ्रेंस के समापन समारोह में बोल रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि रोबोटिक सर्जरी, जिसे रोबोट-असिस्टेड सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है, चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है। देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में रोबोटिक सर्जरी की उन्नति से निश्चित रूप से गरीब तबके को बड़ा फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टिता के चलते आज भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है। स्वस्थ भारत की दिशा में मेक इन इंडिया कार्यक्रम ने न केवल भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदल दिया है, बल्कि यह पहल वास्तव में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर रही है। स्वदेशी विनिर्माण और नवाचार को बढ़ावा देकर, हमने न केवल आयात पर अपनी निर्भरता कम की है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल को अधिक सुलभ और किफायती भी बनाया है। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में परिवर्तनकारी यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश में एक निश्चित आय सीमा से नीचे के परिवारों के लिए मुफ्त ओपीडी उपचार और दवाएं प्रदान करने वाली चिरायु योजना जैसी पहल ने दस लाख से अधिक रोगियों की सेवा की है। वहीं निरोगी हरियाणा योजना के तहत पांच लाख से अधिक परिवारों का मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है।

राज्यपाल ने कोविड 19 का जिक्र करते हुए कहा कि महामारी के उस दौर में जब संपूर्ण जगत पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा था। तब हमारे देश के वैज्ञानिकों ने वैक्सीन का निर्माण कर मानव जीवन की रक्षा की थी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रही उन्नति के चलते भारत ने न केवल अपने नागरिकों का टीकाकरण किया, बल्कि वसुधैव कुटुंबकम की भावना से प्रेरित होकर, भारत ने नब्बे से अधिक देशों को पचास मिलियन से अधिक खुराक का निर्यात किया और वैश्विक स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देते हुए किफायती टीकों के संभावित आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा।

हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव