जींद : नानक हरि गुन गाई ले, छाडि़ सगल जंजाल...

 


जींद, 30 अप्रैल (हि.स.)। जींद। नौंवी पातशाही गुरू तेग बहादुर साहिब का प्रकाशोत्सव पर्व शहर के ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में मंगलवार को बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। जिसमें बाहर से आए रागी विद्वान व कविश्री जत्थों ने गुरु तेग बहादुर साहिब की जीवनी को अपनी कविताओं में पिरो कर संगतों को सुना कर निहाल कर दिया।

गुरुघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह के अनुसार गुरुद्वारा साहिब में धार्मिक समागम का आयोजन किया गया। जिसमें बाहर से आए रागी जत्थों ने हरि जस गायन कर के एवं कथावाचकों ने गुरु इतिहास सुना कर संगतों को निहाल कर दिया। बलविंदर सिंह ने बताया कि धार्मिक समागम की शुरुआत में गुरुद्वारा साहिब के हैड ग्रंथी एवं कथा वाचक गुरविंदर सिंह रत्तक ने अपने प्रवचनों में बताया कि गुरू तेग बहादुर जी की शहादत को हिंदुस्तान के इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है कि गुरू तेग बहादुर साहिब ने अपने शीश का बलिदान अपने किसी स्वार्थ या लालच की बजाए कश्मीर के ब्राह्मणों के जनेऊओं की रक्षा की खातिर दिया था।

इसके बाद गुरुद्वारा साहिब के रागी भाई जसबीर सिंह रमदासिया के रागी जत्थे ने गुरू की उपमा से संबंधित गुरबाणी शब्दों का गायन किया। उन्होंने अपनी वाणी में बताया कि सगल जगतु है जैसे सुपना, यह संसार सपना है। इसलिए इस नश्वर, क्षणभंगुर संसार का मोह त्याग कर प्रभु की शरण लेना ही उचित है। गुरुघर के कथा वाचक गुरविंदर सिंह ने संगतों का गुरबाणी से निहाल करते हुए कहा कि नानक हरि गुन गाई ले, छाडि़ सगल जंजाल। गुरु जी का कथन है कि चिंता उसकी करो, जो अनहोनी हो, चिंता ताकी कीजिये जो अनहोनी होय। इस संसार में तो कुछ भी स्थिर नहीं है। गुरु तेग बहादुर के अनुसार समरसता सहज जीवन जीने का सबसे सशक्त आधार है।

इस अवसर पर हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सदस्य बीबी परमिंदर कौर, विधायक प्रतिनिधि राजन चिल्लाना ने उपस्थित संगत को प्रकाश पर्व की बधाई देते हुए कहा कि अपने सिद्धांतों के लिए आत्मबलिदान करना बहुत बड़ी बात होती है, परंतु उससे भी बड़ी बात होती है दूसरों के सिद्धांतों और विश्वासों के लिए शहीद हो जाना। गुरु तेग बहादुर ऐसे ही अद्वितीय आत्मबलिदानी थे।

हिन्दुस्थान समाचार//संजीव