झज्जर: किसान आंदोलन के चलते रास्ते बंद होने से उद्योगों को होगा अरबों का नुकसान
झज्जर, 22 फरवरी (हि.स.)। आंदोलनकारी किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए पुलिस द्वारा टीकरी बॉर्डर बंद किए हुए गुरुवार को 10 दिन हो गए। इससे बहादुरगढ़ में दूसरे लोगों के अलावा उद्यमियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उद्योगों के कच्चे और तैयार माल की ढुलाई सुविधा के साथ नहीं हो पा रही। उद्यमियों का कहना है कि इस बार आंदोलनकारियों ने टीकरी बॉर्डर के साथ बहादुरगढ़ में डेरा डाल लिया तो न केवल उद्योगों को भारी नुकसान होगा, बल्कि लाखों कामगारों का रोजगार भी चला जाएगा।
कॉनफेडरेशन ऑफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीज से जुड़े उद्यमियों ने कर्मचारियों के साथ पंडित श्रीराम मेट्रो स्टेशन लेकर टिकरी बार्डर तक शांति मार्च निकाला। इस मार्च के माध्यम से कर्मचारियों ने किसानों से बहादुरगढ़ को आंदोलन का केन्द्र न बनाने की अपील की। कोबी प्रधान व उद्यमी प्रवीन गर्ग ने कहा कि किसान संगठन जल्द से जल्द इस आंदोलन का समाधान निकाले, ताकि उद्योग धंधे प्रभावित न हो। प्रवीन गर्ग व कई अन्य उद्यमियों ने बताया कि आंदोलन के कारण सेक्टर-9 और टीकरी बॉर्डर पूरी तरह से बंद है। जिसके कारण न तो माल आ रहा है और न ही जा पा रहा। जिसके चलते उद्यमियों की परेशानी बढ़ी हुई है।
झज्जर जिले में करीब आठ हजार औद्योगिक इकाईयां चल रही हैं, जिसमें से 60 प्रतिशत से ज्यादा बहादुरगढ़ में हैं। पहले कोरोना महामारी के कारण उद्यमियों और छोटे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ा। इस नुकसान से उद्यमी उभरे भी नहीं थे कि 2021 में किसान आंदोलन के कारण एक साल से ज्यादा समय तक टिकरी बॉर्डर बंद रहा। जिसके कारण उद्यमी ही नहीं बल्कि आमजन को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
छोटी इकाईयां यह मार सह नहीं पाई बंद हो गई। न जाने कितने कर्मचारियों को इस वजह से अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। अब फिर वहीं हालात बन गए है। ऐसे में सभी उद्यमी यह अपील करते है कि 2021 वाली स्थिति उत्पन्न न हो। जिसके कारण लाखों कर्मचारियों को अपने रोजगार और उद्यमियों को अपने कारोबार से हाथ धोना पड़े।
हिन्दुस्थान समाचार/शील/संजीव