हिसार: नई किस्मों एवं तकनीकों को अपनाकर चारा उत्पादन में बढ़ोतरी संभव : प्रो. बीआर कम्बोज

 


हकृवि में पहली राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

हिसार, 28 अगस्त (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पशुपालन एवं डेयरी विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरिंग मंत्रालय भारत सरकार के दो अग्रणी संस्थानों सीईएएच, बैंगलुरू और रीज़नल फोडर स्टेशनकी ओर से ‘भारत में चारा प्रबंधन में प्रगति’ (एएफएमआई-2024) विषय पर पांच दिवसीय पहली राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के चारा विशेषज्ञों सहित 14 राज्यों के 71 पशु चिकित्सक भाग ले रहे हैं।

कार्यशाला का शुभारंभ हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं मुख्य अतिथि प्रो. बीआर कम्बोज ने बुधवार को किया। कार्यक्रम में संयुक्त आयुक्त (राष्ट्रीय पशुधन मिशन) डॉ. एचआर खन्ना व संयुक्त आयुक्त और निदेशक (सीईएएच) डॉ. महेश पीएस भी मौजूद रहे। कुललपति कंबोज ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि नई किस्मों एवं तकनीकों को अपनाकर चारा उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है। उन्होंने केन्द्र एवं राज्य सरकार के चारा बीज उत्पादन और संबंधित गतिविधियों में शामिल पशु चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने पर बल दिया। उन्होंने पशु पोषण के महत्व पर पशुपालकों में जागरूकता पैदा करना, पशुधन स्वास्थ्य, चारा उत्पादन डेयरी और चारा उत्पादों की आपूर्ति से जुड़े हित धारकों के लिए एक साझा मंच प्रदान करने पर भी बल दिया। उन्होंने पशु चिकित्सा विज्ञान और कृषि में प्रशिक्षित युवाओं से इस क्षेत्र के बेहतर भविष्य के लिए चारा क्षेत्र में उद्यमिता अपनाने का आग्रह किया।

कुलपति ने कहा कि देश में इस समय 11.3 प्रतिशत हरे व 23.2 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है। कृषि भूमि सीमित होने के कारण चारा फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाना कठिन है लेकिन हम चारा फसलों की उन्नत किस्मों का बीज उपलब्ध करवाकर, चारा उत्पादन की नई-नई तकनीक विकसित करके, विभिन्न क्षेत्रों के लिए चारा फसलों के उचित फसल चक्र विकसित करके, बहुवर्षीय चारा फसलों की खेती करके इसका बेहतर प्रबंधन कर सकते है जिससे न केवल हमारे पशुधन की उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। चारे की कमी के दिनों में साइलेज व हे बनाकर पशुओं को खिलाया जा सकता है। डॉ. महेश ने कार्यशाला में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम की थीम और आवश्यकताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। क्षेत्रीय चारा केन्द्र, हिसार के निदेशक डॉ. पीपी सिंह ने सभी का धन्यवाद किया।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर