सिरसा: मानव कल्याण के लिए ज्ञान अर्जन अनिवार्य शर्त: अतरजीत

 


सिरसा, 24 मार्च (हि.स.)। ज्ञान के हथियार से ही मानव मुक्ति के संघर्ष में सफलता अर्जित की जा सकती है और इसके लिए शब्द की साधना अनिवार्य है। यह विचार प्रख्यात पंजाबी लेखक अतरजीत ने गांव श्रीजीवननगर में स्थित श्री गुरु हरी सिंह कॉलेज में अपने नव सृजत ऐतिहासिक पंजाबी उपन्यास अब जूझण को दाओ पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्यातिथि के तौर पर अपने संबोधन में व्यक्त किए। इस विचार गोष्ठी की अध्यक्षता कॉलेज की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गुरमीत सिंह वडैच एडवोकेट,सचिव गुरचरण सिंह धालीवाल,प्राचार्य डॉ. केएल ग्रोवर, जरनैल सिंह खोखर, स्वर्ण सिंह विर्क,जसपाल मानखेडा व डॉ. हरविंदरसिंह सिरसा पर आधारित अध्यक्ष मंडल ने की।

कूका आंदोलन के प्रमुख सदगुरु राम सिंह जी,शहीद-ए-आजम भगत सिंह,राजगुरु, सुखदेव व जनकवि पाश को समर्पित इस कार्यक्रम का आगाज गुरमीत सिंह वडैच द्वारा अमृतपाल बंगे द्वारा एक इंकलाबी गीत की खूबसूरत प्रस्तुति से हुआ। विचारगोष्ठी में स्वर्ण सिंह विर्क ने अब जूझण को दाओ उपन्यास के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि यह उपन्यास पंजाब में खालसा राज के समापन से लेकर वर्तमान किसान आंदोलन तक की तमाम परिस्थितियों का एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसका पठन हर व्यक्ति के लिए लाभप्रद है। वरिष्ठ लेखक जसपाल मानखेडा ने इस उपन्यास को पंजाबी ऐतिहासिक उपन्यासों की श्रेणी में मील पत्थर बताते हुए कहा कि यह अतरजीत की विलक्षण साधना का अहम प्रतिफल है।

डॉ. हरविंदर सिंह सिरसा ने इस उपन्यास के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपन्यास लगभग एक सौ पांच हžर वर्षों के मानवीय,राजनीतिक, सामाजिक,साहित्यिक, सांस्कृतिक, आर्थिक परिदृश्य को समेटे हुए है। प्राचार्य डॉ. केएल ग्रोवर ने सभी अतिथिगण एवं उपस्थितजन के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अमनव डॉ. हरविंदर सिंह सिरसा ने किया। कार्यक्रम में कॉलेज के समस्त स्टाफ व विद्यार्थियों के अलावा रणबीर राणा, हरभजन सिंह राजा, लखविंदर सिंह बाजवा, पूरन सिंह निराला, डॉ.गुरप्रीत सिंह सिंधरा, हरजिंदर सिंह भंगु, हरदेव सिंह विर्क, मुख्त्यार सिंह, बलतेज सिंह, मलकीयत सिंह, सुखदेव सिंह ढोट, रमेश शास्त्री, हरभजन बेदी इत्यादि ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/संजीव