हिसार : गुलाबी सुंडी के प्रबंधन के लिए एचएयू ने आयोजित किए प्रशिक्षण कार्यक्रम

 


उमरा व चुली कलां गांव में वैज्ञानिकों ने किसानों को दिए महत्वपूर्ण सुझाव

हिसार, 17 जुलाई (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की गुलाबी सुंडी एवं टिंडा गलन की समस्या के निवारण के लिए ‘कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम’ आयोजित शुरू किए गए हैं। इसके तहत गांव उमरा व चुली कलां में बुधवार को कृषि वैज्ञानिकों ने नरमा की फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप एवं टिंडा गलन की समस्या के बारे में किसानों को जानकारी दी गई। किसानों को नरमा फसल की उपरोक्त समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ‘विश्वविद्यालय आपके द्वार’ तर्ज पर गांव-गांव कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

गांव उमरा में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन सिरसा, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। केन्द्रीय कपास अनुसंधान सिरसा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके वर्मा, विश्वविद्यालय के कपास अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. करमल सिंह मलिक, कीट वैज्ञानिक डॉ. अनिल जाखड़, पौध रोग वैज्ञानिक डॉ. अनिल सैनी ने नरमा फसल में होने वाले रोगों/बीमारियों की रोकथाम के बारे में किसानों को जागरूक किया। इस तरह के कार्यक्रम जिले के कृषि अधिकारियों एवं कीटनाशक विक्रेताओं के लिए भी आयोजित किए जाएंगे ताकि गुलाबी सुंडी की समस्या को कम किया जा सके।

अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि कपास अनुभाग समय-समय पर नरमा फसल की एडवाइजरी जारी करता है जिसकी अनुपालना करके किसान नरमा फसल की अच्छी पैदावार ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कपास फसल के लिए कीट संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि नरमा फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी के लिए दो फेरोमॉन ट्रेप प्रति एकड़ लगाएं या साप्ताहिक अंतराल पर कम से कम 150-200 फूलों का निरीक्षण करें। टिंडे बनने की अवस्था में 20 टिंडे प्रति एकड़ के हिसाब से तोडक़र, उन्हें फाडक़र गुलाबी सुंडी का निरीक्षण करें। 12-15 गुलाबी सुंडी प्रौढ प्रति ट्रेप तीन रातों में या पांच से दस प्रतिशत फूल या टिंडा ग्रसित मिलने पर कीटनाशकों को प्रयोग करें। कीटनाशकों में प्रोफेनोफॉस 50 ईसी की 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी या क्यूनालफॉस 25 ईसी की 3 से 4 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें। सफेद मक्खी एवं हरा तेला का प्रकोप होने पर फलोनिकामिड 50 डब्ल्यूजी 60 ग्राम या एफिडोपायरोप्रेन 50 जी/एल की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ का छिडक़ाव करें।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर / SANJEEV SHARMA