हरियाणा को 19 दिसंबर को मिलेगा अपना राज्य गीत
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को सदन में रखा प्रस्ताव
राज्यभर से 204 प्रविष्टियों में से तीन गीत हैं अंतिम दौर में
चंडीगढ़, 15 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा के इतिहास, समृद्ध विरासत और संस्कृति को परिलक्षित करने वाला राज्य का गीत 19 दिसंबर को प्रदेश को मिलने वाला है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन इस संबंध में सरकारी प्रस्ताव को सदन में पेश कर दिया। सरकार चयनित तीन गीतों को सदन में सदस्यों को सुनाया गया। विधानसभा के सदस्य इन गीतों में से एक गीत को चुनेंगे और उसे एक साल के लिए राज्य गीत घोषित किया जाएगा।
मनोहर लाल ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि हरियाणा राज्य 1 नवम्बर, 1966 को अस्तित्व में आया, लेकिन हरियाणा की पावन धरा पूर्व-वैदिक काल से ही गौरवशाली इतिहास, समृद्ध परंपराओं और संस्कृति का केंद्र रही है। आज हरियाणा प्रदेश की पहचान भारत के अग्रणी राज्यों में होती है। हरियाणा के लोगों ने सदैव देश की रक्षा में अनेक बलिदान दिए हैं और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि यद्यपि हरियाणा का अपना राज्य-चिह्न है, लेकिन प्रदेश का कोई राज्य-गीत नहीं है, जो इसके इतिहास और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता हो और जिसमें इसके लोगों के गुण और योगदान समाविष्ट हों। एक बार अपनाया गया राज्य गीत सभी हरियाणवियों को उनकी जाति, लिंग, धर्म या आर्थिक स्थिति से इतर, उन्हें एक नई गौरवपूर्ण पहचान प्रदान करेगा।
मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार ने समाचार पत्रों में विज्ञापनों के माध्यम से जनता से गीत आमंत्रित किये गये थे। इसके जवाब में 204 प्रविष्टियां मिलीं, जिनमें से तीन गीतों का चयन किया गया है। इन गीतों के बोल 'जय जय, जय हरियाणा, पावन धरती वेदों की..., 'जय वीर धरा, जय धीर धरा, जय नीर धरा हरियाणा ... और 'जय हरियाणा, जय हरियाणा, जय हो तेरी हरियाणा... हैं। इन गीतों को सदन के समक्ष राज्य गीत के रूप में विचारार्थ रखा गया। इन विकल्पों का चयन एक विस्तृत प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रारंभ में एक साल की अवधि के लिए राज्य गीत के रूप में अपनाया जाएगा। मुझे आशा है कि राज्य गीत राज्य के लोगों, जिनका हम सभी प्रतिनिधित्व करते हैं, की सामूहिक इच्छा को अभिव्यक्त करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन के सदस्य गीतों को पढक़र और सुनकर 19 दिसंबर 2023 को अपने विचार प्रस्तुत करें और यदि गीत का कोई नया प्रारूप भी देना चाहते हैं तो दे सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/सुनील