हरियाणा : मंदिरों के बोर्ड में मूक-बधिर भी बन सकेंगे सदस्य

 


-सरकार ने विधानसभा में पारित किया विधेयक

चंडीगढ़, 20 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा के मंदिरों में मूक, बधिर या कुष्ठ रोगी भी मंदिर संचालन के लिए गठित बोर्ड में शामिल हो सकेंगे। इसको लेकर सरकार ने विधानसभा में मंदिर संचालन नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इन मंदिरों में मनसा देवी (पंचकुला), शीतला देवी (गुरुग्राम), भीमेश्वरी देवी (बेरी), और यमुनानगर में श्री कपाल मोचन, श्री बद्री नारायण, श्री मंत्र देवी और श्री केदारनाथ मंदिर शामिल हैं। इन तीर्थस्थलों का प्रशासन, प्रबंधन और संचालन उनके संबंधित बोर्डों के अधीन है।

हरियाणा में भी हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती मेला प्राधिकरण अधिनियम, 2024 के तहत प्राधिकरण का सदस्य बनने के लिए इसी तरह की पाबंदी है, जिसे संशोधन के माध्यम से हटा दिया गया है। सरकार का कहना है कि बधिर, मूक और कुष्ठ रोगियों को मंदिर बोर्ड का सदस्य बनने की अनुमति देना, फेडरेशन ऑफ लेपर्स ऑर्गनाइजेशन और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया' मामले में 7 मई, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में और सामाजिक संरचना में आए बदलाव को देखते हुए, जहां अब शारीरिक रूप से अक्षम और असाध्य रोग से ग्रसित व्यक्तियों को समाज में अधिक स्वीकार्यता और सम्मान प्राप्त है के मद्देनजर लिया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने 7 मई को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और विधि सचिवों को निर्देश दिया था कि वे विधि एवं न्याय विभाग के 3 अधिकारियों की एक समिति का तत्काल गठन करें ताकि उन सभी राज्य कानूनों की पहचान की जा सके, चाहे वे संविधान से पहले के हो या बाद के, जिनमें कुष्ठ रोग से पीडि़त या ठीक हुए व्यक्तियों के संबंध में भेदभावपूर्ण अभिव्यक्ति अभी भी कानून की किताब का हिस्सा हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा