गुरुग्राम: 21वीं सदी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक: प्रो. असीम कुमार घोष

 




-राज्यपाल ने गुरुग्राम में किया इंटरनेशनल रिलेशंस पुस्तक के द्वितीय संस्करण का विमोचन

-स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी हरियाणा के कुलपति प्रो. अशोक कुमार, गुरुग्राम के डीसीपी ट्रैफिक डॉ. राजेश मोहन ने लिखी है यह पुस्तक

गुरुग्राम, 4 नवंबर (हि.स.)। हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने मंगलवार को गुरुग्राम स्थित साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध इंटरनेशनल रिलेशंस) सिविल सेवा एवं राज्य सेवा परीक्षाओं के लिए पुस्तक के दूसरे संस्करण का विमोचन किया। कार्यक्रम में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में पूर्व में सचिव रहे दामु रवि विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। यह पुस्तक स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी हरियाणा के कुलपति प्रो. अशोक कुमार तथा गुरुग्राम के डीसीपी ट्रैफिक डॉ. राजेश मोहन द्वारा लिखी गई है।

राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने पुस्तक के विमोचन से पूर्व अपने संबोधन में कहा कि 21वीं सदी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गया है। सीमाएँ भले ही देशों को भौगोलिक रूप से अलग करती हों, परंतु अर्थव्यवस्था, तकनीक, संचार और पर्यावरण के स्तर पर विश्व पहले से कहीं अधिक जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में कोई भी मुद्दा अलग-थलग नहीं है। चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा या सार्वजनिक स्वास्थ्य, हर विषय वैश्विक प्रभाव से जुड़ा हुआ है। राज्यपाल प्रो. घोष ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन विद्यार्थियों को व्यापक दृष्टिकोण देता है और उन्हें संतुलित, तार्किक व उत्तरदायी नेतृत्व के लिए तैयार करता है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक केवल परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शक नहीं, बल्कि जीवन के लिए दृष्टिकोण देने वाली कृति है, जो युवाओं को विचारशीलता, विवेक और राष्ट्र सेवा के भाव से प्रेरित करेगी।

राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने कहा कि यह पुस्तक केवल जानकारी का संकलन नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरक और ज्ञानवर्धक कृति है। इसमें उन अनुभवी व्यक्तित्वों की संचित बुद्धिमत्ता निहित है जिन्होंने वर्षों तक प्रशासनिक और कूटनीतिक क्षेत्र में कार्य किया और अब अपने अनुभवों के माध्यम से नई पीढ़ी को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक केवल शैक्षणिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि विचारों की दुनिया और व्यवहारिक जीवन के बीच सेतु का कार्य करेगी। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि दामु रवि ने कहा कि पुस्तक का यह नवीनतम संस्करण अत्यंत उपयोगी और समसामयिक है, जिसमें हाल ही में हुए वैश्विक परिवर्तनों और भारत की विदेश नीति में आए नए आयामों को समाहित किया गया है। पुस्तक के लेखक एवं स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी हरियाणा के कुलपति अशोक कुमार ने कहा कि यह पुस्तक भारत की विदेश नीति और बदलती वैश्विक राजनीति की गहराई से समझ प्रदान करती है।

पुस्तक में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर सहित अन्य भारत के अग्रणी विचारकों के दृष्टिकोण को भी शामिल किया गया है, ताकि पाठक भारत के दृष्टिकोण को भारतीय कूटनीतिज्ञों और विद्वानों की नजर से समझ सकें। पुस्तक के सह लेखक एवं डीसीपी ट्रैफिक गुरुग्राम डॉ. राजेश मोहन ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंध अब केवल समझौतों और औपचारिक कूटनीति तक सीमित नहीं रहे, बल्कि यह एक सतत परिवर्तित होती प्रक्रिया बन चुकी है।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर