गुरुग्राम: बैंक अकाउंट अटैच होने के डर से उपभोक्ता को बिजली निगम ने किया  भुगतान 

 

-न्याय पाने के लिए उपभोक्ता को लग गए 14 साल

गुरुग्राम, 30 नवंबर (हि.स.)। बिजली चोरी केे मामले मेें निचली व उच्च अदालत का फैसला उपभोक्ता पक्ष मेें आने के बावजूद भी बिजली निगम ने उपभोक्ता को जमा की गई जुर्माना राशि का भुगतान ब्याज सहित नहीं किया। जब उपभोक्ता ने अदालत से बिजली निगम का बैंक अकाउंट अटैच करने का आग्रह किया।

बिजली निगम ने बैंक अकाउंट अटैच होने के डर से उपभोक्ता को 77 हजार 330 रुपए जुर्माना राशि का भुगतान करना पड़ गया। हंस एंक्लेव के उपभोक्ता बाबूराम वर्मा के अधिवक्ता क्षितिज मेहता ने शनिवार काे यह जानकारी देते हुए बताया कि वह अपने आवास पर लगे बिजली कनेक्शन से पीसीओ चलाकर बिजली का कमर्शियल उपयोग किया है। उस पर 66 हजार 29 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था। जो बाद में ब्याज सहित 77 हजार 330 रुपए हो गया था और इसको 29 नवम्बर 2010 के उपभोक्ता के बिजली के बिल में जोड़ दिया था। उपभोक्ता ने बिजली निगम के अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। जिस पर मजबूर होकर उपभोक्ता ने 21 दिसम्बर 2010 को बिजली निगम के खिलाफ अदालत में मामला दायर कर दिया।

तत्कालीन सिविल जज ललिता पटवर्धन की अदालत ने एक अप्रैल 2016 को उपभोक्ता के पक्ष में फैसला देते हुए जमा की गई जुर्माना राशि वापिस करने का आदेश दिया था, लेकिन बिजली निगम ने निचली अदालत के आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में 31 मई 2016 को अपील के माध्यम से चुनौती दे डाली।

तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलवंत सिंह की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखतेे हुए 22 मई 2018 को बिजली निगम की अपील को खारिज कर दिया। अधिवक्ता का कहना है कि जब बिजली निगम ने करीब 5 साल तक उपभोक्ता को जमा कराई गई जुर्माना राशि वापिस नहीं की तो 6 मई 2023 को उपभोक्ता ने एग्जिक्यूशन पीटिशन अदालत में दायर कर दी। इसके बावजूद भी बिजली निगम ने उपभोक्ता को धनराशि वापिस नहीं की। उपभोक्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि बिजली निगम का बैंक अकाउंट अटैच कर जमा कराई गई जुर्माना राशि उसे वापिस दिलाई जाए।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर हरियाणा