हिसार: किसान के बच्चों को कृषि के व्यापार में आगे आना चाहिए: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

 






हिसार से गए किसानों ने संसद भवन के दौरान की उपराष्ट्रपति से मुलाकात

उपराष्ट्रपति निवास पर डॉ. सुदेश धनखड़ से मिले हिसार के किसान

हरियाणा की महिला किसानों ने लोकगीत सुनाया-जगदीप धनखड़ ने फोन करया था जल्दी आइयो संसद में... आई मैं क्यूंकर आऊं, मेरा ससुरा रोज लड़े सै

हिसार, 12 जनवरी (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के निमंत्रण पर जिले के किसानों ने नए संसद भवन का भ्रमण किया और उपराष्ट्रपति से मुलाकात की। उपराष्ट्रपति ने पिछले महीने 26 दिसंबर को हिसार स्थित आईसीएआर-केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के दौरे के समय वहां उपस्थित किसानों से मुलाकात की थी और उन्हें दिल्ली आकर नया संसद भवन देखने को आमंत्रित किया था। उपराष्ट्रपति ने अपने देसी अंदाज में किसानों से कहा था कि दिल्ली आवो थारो घर सै।

उपराष्ट्रपति के निमंत्रण पर शुक्रवार को केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक किसानों के साथ दिल्ली पहुंचे जहां उन्हें संसद भवन का गाइडेड टूर कराया गया। उपराष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सभी किसानों ने संसद भवन में लंच किया। इसके बाद वे उपराष्ट्रपति निवास पर पहुंचे जहां किसानों का स्वागत सत्कार श्रीमती (डॉ.) सुदेश धनखड़ ने किया। इनमें जेवरा, बाडोपट्टी, धिकताना, बीड बबरान, सरसौद, बालक, बिछपडी और भाटोल जाटान आदि गांवों के 40 किसान व 10 महिला किसान भी थीं।

उपराष्ट्रपति निवास पर हरियाणा की उत्साही महिला किसानों ने स्वरचित लोकगीत गाया जिसके बोल थे-जगदीप धनखड़ ने फोन करया था जल्दी आइयो संसद में... आई मैं क्यूंकर आऊं, मेरा ससुरा रोज लड़े सै। उपराष्ट्रपति भी लोकगीत की धुन पर स्वयं को थिरकने से न रोक सके।

उपराष्ट्रपति ने किसानों से कहा कि दुनिया में सबसे बड़ा व्यापार कृषि उत्पादन का है। गेहूं, बाजरा, चावल, दाल, सब्जी, दूध सब कृषि का है और किसान इनको पैदा करता है और पसीना बहाकर मेहनत करता है। उन्होंने कहा कि केवल खेती नहीं, बल्कि कृषि उत्पादों के व्यापार में भी किसानों को दिलचस्पी लेनी चाहिए। श्री धनखड़ ने कहा कि किसान की मंडी के अंदर दुकान भी होनी चाहिए और किसान के बच्चों को व्यापार में पड़ना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि छोरा पढ़ लिखकर यह व्यापार क्यों करें? उसे तो नौकरी करनी चाहिए। व्यापार में बहुत दम है। यह संकल्प ले लेना चाहिए कि अपने बच्चे पढ़ लिख के और भी काम करें पर कृषि के उत्पादन से व्यापार जरूर करें।

महिला किसानों से बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि छोरा-छोरी में कोई फर्क नहीं बचा है। जो थोड़ा एक फर्क है यह है कि छोरी थोड़ी ज्यादा आगे पहुंच गई है। हरियाणा के अखाड़ों का जिक्र करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारे अखाड़े गुरुकुल जैसे हैं जब हरियाणा के अखाड़े के लोग मुझसे मिले थे, तो मैं तो उनसे मिलकर दंग रह गया। मैंने कहा बच्चों को दूध कहां से मिलता है, तो वह कहते हैं कि गांव के लोग देते हैं। खाने पीने की व्यवस्था कैसे होती है, तो बोले की सामूहिक रूप से होती है। बच्चे खूब एक्सरसाइज करते हैं इसका मतलब बच्चों में कोई बुरी आदत नहीं आती है।

जगदीप धनखड़ ने किसानों से अपील की कि गांव में भाईचारा बढ़ाओ। समाज को जाति में बांटने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि शरीर का हर एक अंग जरूरी है, कहीं भी थोड़ी चोट लग जाए तो दिमाग विचलित हो जाता है, सीने में दर्द होता है, पूरी परेशानी हो जाती है, तो समाज को कोई बांट नहीं सका है, समाज एक है, और यही आज देश की परंपरा है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव