जींद : पराली को पंजीकृत गाैशालाओं में भेजने पर मिलेगी 500 रुपये प्रोत्साहन राशि

 


जींद, 21 अक्टूबर (हि.स.)। उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने कहा कि जो किसान पराली प्रबंधन करते हुए पराली को रजिस्टर्ड गोशालाओं में भेजते हैं तो उन्हें 500 रुपये अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस योजना के बारे में कृषि विभाग द्वारा विशेष अभियान चला कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्रों सुपर सीडर, जीरो ट्रिल मशीन, स्ट्रा चोपर, हैपी सीडर एवं रिवर्सिबल प्लो अनुदान पर दिए जाते हैं। किसान इन कृषि यंत्रों का प्रयोग करके पराली को मिट्टी में मिला कर जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं या स्ट्रा बेलर मशीन से पराली की गांठ बना कर सरकार द्वारा दी जा रही एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ उठा सकते हैं।

किसान स्वयं अथवा सीएससी सेंटर के माध्यम से प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन कर सकते हैं। सोमवार को डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने बताया कि धान उत्पादक किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सरकार एक हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी। उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने बताया कि किसान धान की कटाई के बाद अपने खेत में आग न लगाएं। आग लगाने से वायु प्रदूषण होता है और मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। उपायुक्त ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन योजना एसबी.82, 2024-25 के तहत अवशेषों को मशीनों की सहायता से मिट्टी में मिलाने पर किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है। धान अवशेषों को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढेगी तथा वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायता मिलेगी।

जिला के किसान हैप्पी सीडरए सुपर सीडरए रिवर्सिबल एमबी प्लॉव व जीरो टिल सीड ड्रिल की सहायता से धान अवशेषों को मिट्टी में मिला कर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आवेदक किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। उपायुक्त ने बताया कि योजना का लाभ लेने के लिए किसान को विभागीय पोर्टल एग्रीहरियाणाण्जीओवी.इन पर आवेदन करना होगा। ग्राम स्तरीय कमेटी (वीएलसी) से सत्यापन होने के बाद पात्र किसानों को प्रोत्साहन राशि का लाभ दे दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से ना केवल पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है बल्कि धरती की उर्वरता भी कमजोर हो जाती है। सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन करने पर किसानों को एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा