हिसार: ब्रह्मनाद ध्यान आत्मा के अद्वितीय संबंध की अनुभूति: आचार्य सुभाष
हिसार, 13 नवंबर (हि.स.)। ओशो सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में सोमवार को ओशोधारा मैत्री संघ ने अपने कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में ध्यान का कार्यक्रम आयोजित किया। ओशोधारा हरियाणा के संयोजक आचार्य सुभाष ने ब्रह्मनाद ध्यान की शुरुआत दीपावली के उपलक्ष में दीप प्रज्जवलित करके की।
आचार्य ने में बताया कि ब्रह्मनाद ध्यान एक आध्यात्मिक साधना है, जो योग और ध्यान के माध्यम से आत्मा के अद्वितीयता को अनुभव करने का प्रयास करता है। इस ध्यान का लक्ष्य ब्रह्म (अनंत और अनंत शक्तियों का समूह) के साथ सम्माहित होकर अद्वितीय ब्रह्मात्मा के साथ एकता अनुभव करना है। ब्रह्मनाद ध्यान में, व्यक्ति अपने मन को शांति और एकाग्रता की स्थिति में ले जाता है और ध्यान के माध्यम से अपनी आत्मा की अंतर्दृष्टि में प्रवृत्त होता है। यह ध्यान किसी विशेष चिह्न या रूप को ध्यान में रखने की बजाय, ब्रह्म के अनंत और अद्वितीय स्वरूप का अनुभव करने का प्रयास करता है।
ब्रह्मनाद ध्यान का अभ्यास करने वाले व्यक्ति को अपनी असली स्वभाव की समझ होती है और उसे आत्मा का आत्मिक एकत्व महसूस होता है। इसका परिणाम स्थिर मानसिकता, उदार भावना, और आत्मिक शांति होती है। ब्रह्मनाद ध्यान के माध्यम से व्यक्ति को अपने चेतन और अचेतन सत्ताओं के प्रति सहज अनुभव होता है जो सभी जीवों और ब्रह्मांड को आच्छादित करती हैं। ध्यान का समापन उत्सव के साथ किया और सभी मित्र बहुत ही आनंदित और ऊर्जावान महसूस कर रहे थे।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव