हिसार: हर घंटे एक विद्यार्थी आत्महत्या करने को मजबूर: रेनू कादियान

 


भगत सिंह फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेनू कादियान ने जताई छात्रों के सुसाइड पर चिंता

हिसार, 1 फरवरी (हि.स.)। विद्यार्थियों पर पड़ने वाला तीन तरह का दबाव उन्हें आत्महत्या की तरफ ले जा रहा है। अगर कामयाब नहीं हुए तो मित्र मंडली क्या कहेगी। अभिभावक क्या सोचेंगे और करियर तो बीच में ही रह गया। इस बात से पैदा होने वाला तनाव रोजाना औसतन 30 विद्यार्थियों की जान ले रहा है। यह कहना है भगत सिंह फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेनू कादियान का।

छात्रों में बढ़ते सुुसाइड के मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए रेनू कादियान ने गुरुवार को कहा कि अधिकांश राज्यों में ऐसे मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। पिछले कुछ साल से, हर साल देखे तो औसतन 9474 छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की है। उसके बाद भी यह संख्या कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ती ही जा रही है। पिछले साल भी देश में करीब 11 हजार विद्यार्थी असहनीय दबाव और डिप्रेशन के चलते दुनिया को अलविदा कह गए।

विभिन्न तरह के शोध और मनोचिकित्सकों की मानें तो तीन तरह का दबाव, जो उनके आसपास ही रहता है, उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर करता है। धीरे-धीरे यह दबाव डिप्रेशन में बदलता जाता है। इस तरह के लक्षण ज्यादातर 16 से 18 वर्ष और उससे उपर की आयु वाले विद्यार्थियों में देखे गए हैं। इनमें स्कूल-कालेज के छात्र और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे प्रतिभागी शामिल हैं। राजस्थान के कोटा में जेईई और नीट की तैयारी करने वाले कई छात्र-छात्राओं द्वारा कथित तौर से आत्महत्या किए जाने के पीछे बहुत हद तक ये तीन कारण देखने को मिले हैं।

रेनू कादियान का कहना है कि विद्यार्थियों पर पड़ने वाले इस दबाव को सभी नजरअंदाज कर देते हैं। परिवार और स्कूल प्रबंधन भी इसकी भयावह स्थिति को नहीं समझ पाता। विद्यार्थी खुद को हार का चिह्न मानने लगता है। उसे खुद मालूम होता है, लेकिन वह इस धारणा के साथ आगे बढ़ता रहता है कि न तो उसे हार माननी है और न ही इलाज लेना है। इस बाबत वह खुद किसी को कुछ बताना भी नहीं चाहता। ये सभी स्थितियां धीरे धीरे उसे डिप्रेशन के उच्च स्तर तक ले जाती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव