हिसार: दीक्षा से ही होता शिक्षा का मूल्यांकन और उपयोग: आचार्य सत्यकाम

 


हिसार, 19 मार्च (हि.स.)। शिष्य को शिक्षा देकर सुयोग्य बनाना ही वास्तविक दीक्षा है। शिक्षा से योग्यता प्राप्त करके छात्र-छात्राएं दीक्षा का संकल्प लेकर अपनी सफलता व समाज की सेवा के लिए अग्रसर होते हैं। यह दीक्षा जहां उन्हें सांसारिक सफलता के योग्य बनाती है वहां आनंद की प्राप्ति के मार्ग को भी प्रशस्त करती है। यह बात आचार्य सत्यकाम ने मंगलवार को दयानंद ब्राह्म महाविद्यालय मेंं आयोजित हवन-यज्ञ व सत्संग में एक वेद मंत्र की व्याख्या करते हुए कही।

सत्संग में हरियाणा गोशाला संघ के अध्यक्ष शमशेर आर्य व उनकी पुत्री डॉ. दीक्षा आर्य प्रमुख यजमान थे। दीक्षा ने इस अवसर युवा वर्ग को औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक अध्ययन-मनन के लिए प्रेरित किया। दीक्षा टोक्यो विवि में प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत है। इस अवसर पर प्रमोद लांबा, प्रमोद योगार्थी, सुशील राजपाल, अवनीश कुमार, अजय ऐलावादी, सत्यपाल अग्रवाल, सिम्मी काठपाल प्रधान स्त्री आर्य समाज, प्रबंधक देवेंद्र उप्पल, प्रेम गाबा, विरेंद्र आर्य, सुप्रभा, संध्या और विद्यालय के आचार्यों चंदन शास्त्री व राकेश शास्त्री तथा ब्रह्मचारियों ने भाग लिया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव