जींद : मनरेगा मजदूरों ने मांगों को लेकर शहर में किया प्रदर्शन
जींद, 31 दिसंबर (हि.स.)। मनरेगा मजदूर यूनियन के आह्वान पर मनरेगा मजदूरों ने बुधवार को मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और लघु सचिवालय पहुंच कर अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन से पहले मनरेगा मजदूरों ने स्थानीय पुराना बस अड्डा पर एक मजदूर महापंचायत का आयोजन यूनियन के प्रांतीय उप प्रधान सत्यवीर सिंह की अध्यक्षता में हुई। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नरेगा कानून 2005 को निरस्त कर उसके स्थान पर मजदूर विरोधी विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन अधिनियम 2025 लागू किए जाने का कड़ा विरोध किया।
उन्होंने कहा कि यह नया कानून ग्रामीण मजदूरों के रोजगार गारंटी के वैधानिक अधिकार का खुला खात्मा है। मनरेगा में काम मांगने पर रोजगार देना या बेरोजगारी भत्ता देना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी थी। जिसे कानून के जरिये समाप्त कर दिया गया है। मांग आधारित व्यवस्था को खत्म कर बजट, सीमित व्यवस्था थोपना मजदूरों के साथ घोर विश्वासघात है। इस अधिनियम ने मनरेगा के खुले वित्तीय ढांचे को समाप्त कर दिया है। अब मजदूरों की वास्तविक जरूरतों के बजाय विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं और मानक आवंटनों के आधार पर काम दिए जाएंगे। जिससे जमीनी आवश्यकताओं की पूरी तरह अनदेखी होगी।
उन्होंने कहा कि खेती के मौसम में दो महीने रोजगार पर रोक को भी मजदूर विरोधी करार दिया गया।
कृषि में मशीनीकरण और घटते रोजगार के कारण ही मनरेगा कानून लाया गया था। नया कानून ठीक उलट जाकर मजदूरों को धनी किसानों और पूंजीपतियों के सामने कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर करेगा। नए कानून में मृत्यु या अपंगता पर पर्याप्त मुआवजे की मजदूर संगठनों की मांग को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। इस मौके पर महासचिव सोमनाथ, पाल सिंह, रघुवीर, सूरजभान चहल, बलवान सिंह, हवासिंह, सरोज ढाकल, सुधीर शास्त्री आदि मजूदर नेता मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा