हिसार : बच्चों ने आंख पर पट्टी बांध, कलर पहचाना व पढ़ भी लिया
आर्ट ऑफ लिविंग के प्रज्ञा योग-अंतः प्रज्ञा प्रक्रिया एवं सहज समाधि ध्यान योग का समापन
हिसार, 14 जून (हि.स.)। आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से 5 से 8 वर्ष एवं 8 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए प्रज्ञा योग-अंतः प्रज्ञा प्रक्रिया एवं सहज समाधि ध्यान योग का आयोजन किया गया। गर्मी की छुट्टियों के मद्देनज़र सभी वर्गों एवं आयू के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये गए।
आर्ट ऑफ लिविंग शिक्षक एवं स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर नीरज गुप्ता ने शुक्रवार को बताया कि सभी कार्यक्रम में प्रतिभागियों का उत्साह देखने को मिला। उन्होंने बताया कि शिविर को मंजू पूरी ने कोऑर्डिनेट किया। प्रज्ञा योग का संचालन आर्ट ऑफ लिविंग की वरिष्ठ शिक्षिका सुनीता छाबड़ा ने किया एवं सहज समाधि ध्यान का संचालन डॉ. प्रेम छाबड़ा ने किया।
सुनीता छाबड़ा ने बताया कि प्रज्ञा योग एक सरल लेकिन शक्तिशाली दो दिवसीय कार्यशाला है जो बच्चों को उनके दैनिक जीवन में उपयोग के लिए उनके अंतर्ज्ञान तक पहुंचने और उसका उपयोग करने में सक्षम बनाती है। एक बच्चे का मस्तिष्क किसी भी प्रकार के अवरोधों से मुक्त होता है, इसलिए वे अंतर्ज्ञान तक जल्दी पहुंच पाते हैं। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम बच्चों को बेहतर धारणा, सतर्कता, बेहतर सीखने के कौशल, निर्णय लेने के कौशल से सशक्त बनाता है और अज्ञात के डर को दूर करता है।
मंजू पूरी ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान एक से बढ़कर एक एक्टिविटी ने चौंका दिया। बच्चों ने बिना देखे कलर पहचान लिये, बिना देखे किताब पढ़ ली, बिना देखे किसी चित्र में कलर किया, दीवार के पीछे का पता लगाना, जैसी ऐक्टिविटी से तो कई बार जादू या हाथ की सफाई लगा, लेकिन प्रत्यक्ष देखकर उन बच्चों के माता पिता भी दंग रह गए।
डॉ. प्रेम छाबड़ा ने सहज समाधि ध्यान का संचालन करते हुए बताया कि ध्यान के लिए कई तकनीकें हैं, लेकिन सहज समाधि ध्यान में हम गहरे विश्राम की स्थिति तक पहुंचने के लिए आवेशित सूक्ष्म ध्वनियों (मंत्रों) का उपयोग करते हैं। जैसे-जैसे आप अपने भीतर गहराई में जाते हैं, आपके अस्तित्व में आनंद, स्पष्टता, शांति, अंतर्ज्ञान और रचनात्मकता उजागर होती है और अंततः आपको पता चलता है कि आप कौन हैं। समापन अवसर पर मंजू ने सुनीता छाबड़ा एवं डॉ. प्रेम छाबड़ा का डबवाली से आकर शिविर का संचालन करने के लिए धन्यवाद किया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर