हिसार के नरेन्द्र कुमार के नेतृत्व में मेक्सिको की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई
दल ने मेक्सिको की सबसे ऊंची चोटी पिको डी ओरिजाबा पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की
हिसार, 26 दिसंबर (हि.स.)। जिले के गांव मिगनीखेड़ा निवासी हाई-एल्टिट्यूड
क्लाइंबर नरेंद्र कुमार के नेतृत्व में भारतीय पर्वतारोहियों के एक दल ने ग्लोबल लेवल
पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नरेंद्र की टीम ने मेक्सिको की सबसे ऊंची चोटी पिको डी
ओरिजाबा पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। इसे उत्तरी अमेरिका का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी भी माना जाता है। यहां हालात ऐसे
होते है कि ऑक्सीजन लेवल काफी कम होता है, साथ ही शरीर को जमा देने वाली अत्यधिक ठंड
और बर्फीला तूफान पर्वतारोहियों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहता है।
इस चढ़ाई में शरीर
के साथ-साथ दिमाग की भी कड़ी परीक्षा होती है। अभियान के बाद नरेंद्र कुमार ने खुशी
जाहिर करते हुए कहा कि यह उपलब्धि पूरी टीम के सामूहिक प्रयास का नतीजा है। उन्होंने
यह भी संकेत दिया कि उनका अगला लक्ष्य और भी कठिन होने वाला है। वे सर्दियों में माउंट
एवरेस्ट बेस कैंप तक चढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं।
ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी और बर्फीला तूफान बड़ी चुनौती
नरेंद्र कुमार के मुताबिक, 5636 मीटर यानी 18 हजार 491 फीट की ऊंचाई पर स्थित
पिको डी ओरिजाबा पर्वतारोहियों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। यहां की ठंडी
तेज हवा, बर्फ से ढकी सतह और अचानक बदलने वाला मौसम हर कदम पर चुनौती खड़ी करता है।
उन्होंने अपनी यात्रा को ‘कदम दर कदम, सांस दर सांस’ बताया, जिससे साफ है कि इस चढ़ाई में शरीर के
साथ-साथ दिमाग की भी कड़ी परीक्षा हुई। ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी और ठंडे तापमान ने
हालात को और कठिन बना दिया।
पिएद्रा ग्रांडे रिफ्यूज से जमापा ग्लेशियर रूट के जरिए चढ़ाई शुरू
नरेंद्र कुमार ने शुक्रवार काे बताया कि उनके दल ने पिएद्रा ग्रांडे रिफ्यूज से जमापा ग्लेशियर
रूट के जरिए चढ़ाई शुरू की। यह रास्ता आमतौर पर सात से आठ घंटे में पूरा होता है और
इसे पार करने के लिए तकनीकी कौशल बेहद जरूरी है। इस रूट पर क्रैम्पोन और आइस एक्स का
इस्तेमाल जरूरी होता है, क्योंकि फिसलन भरी चट्टानें, ग्लेशियर और ताजा बर्फ हर पल
खतरा पैदा करती है। नरेंद्र कुमार के मुताबिक, जमा देने वाली ठंड के बावजूद टीम के आपसी
तालमेल और अनुशासन ने इस चढ़ाई को सुरक्षित और सफल बना दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर