सरकारी स्कूलों में पीपीपी एवं आधार कार्ड के बगैर होंगे दाखिले

 




- ईंट-भट्ठों एवं प्रवासी मजदूरों को देना होगा केवल शपथ पत्र

चंडीगढ़, 18 अप्रैल (हि.स.)। हरियाणा के सरकारी स्कूलों से बच्चों का लगातार मोहभंग होने के चलते सरकार ने दाखिला प्रक्रिया को सरल बना दिया है। अब परिवार पहचान पत्र और आधार कार्ड के बिना भी सरकारी स्कूलों में दाखिले होंगे। विभाग की ओर से गुरुवार को राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारी, मौलिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट हिदायत दी गई है कि प्रवेश उत्सव के तहत नामांकन में परिवार पहचान पत्र और आधार नंबर की अनिवार्यता जरूरी नहीं है।

राजकीय स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में पहली से 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाले 55 लाख 41 हजार 592 बच्चों का डाटा यू-डीआईएसई पोर्टल पर पंजीकृत किए गए। मगर वर्ष 2023-24 में जब वार्षिक परीक्षा परिणाम के आधार पर बच्चों का डाटा अपडेट किया गया तो प्रदेशभर के सभी स्कूलों में कक्षा पहली से 11वीं तक पढ़ने वाले 4.64 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। यही नहीं यह वे बच्चे हैं, जिन्होंने शिक्षा की डगर को छोड़कर अन्य राह पकड़ ली।

लिहाजा स्कूलों में बढ़ते ड्राप आउट पर शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी. अनुपमा ने नाराजगी जताते हुए शिक्षा अधिकारियों को खूब फटकार लगाई थी और ड्राप आउट शून्य करने के निर्देश दिए।

शिक्षा विभाग की ओर से शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए 23 मार्च से पहली अप्रैल तक प्रवेश उत्सव (दाखिला प्रक्रिया) अभियान चला। इस दौरान ईंट-भट्ठों और खासकर प्रवासी मजदूरों के बच्चों के दाखिले में बिना पीपीपी और आधार नंबर के परेशानी का सामना करना पड़ा।

अब सरकार ने फैसला लिया है कि नजदीक के सरकारी विद्यालय द्वारा दाखिले की इच्छा रखने वाले विद्यार्थी को तुरंत दाखिला दिया जाए। बिना पीपीपी और आधार नंबर के दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों का डाटा एमआईएस पोर्टल पर अलग से अपलोड किया जाएगा।

शिक्षा विभाग की ओर से जीरो ड्राप आउट लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 100 फीसदी नामांकन वाले स्कूल के साथ 30 मई तक ठहराव सुनिश्चित किया गया है। 30 फीसदी दाखिला ग्राफ बढ़ाने वाले स्कूलों को विभाग की ओर से स्वर्ण पत्र देकर प्रोत्साहित किया जाएगा। 20 फीसदी नामांकन करने वालों को रजत और 15 फीसदी नामांकन बढ़ाने वाले स्कूलों को कांस्य पदक से नवाजा जाएगा।

शिक्षा विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि विद्यालय के दाखिला-खारिज रजिस्टर में उसका नामांकन करके शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दी जाने वाली निशुल्क हकदारियां जैसे मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, कार्य पुस्तकें इत्यादि प्रदान की जाएं।

शिक्षा निदेशालय की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि यदि आवेदक बच्चे के पास जन्म का प्रमाण-पत्र नहीं है तो आंगनबाड़ी रिकॉर्ड, अस्पताल या नर्स व दाई के रजिस्टर इत्यादि का भी रिकार्ड उपलब्ध नहीं है तो माता-पिता द्वारा बच्चे की आयु को लेकर दिए जाने वाला शपथ-पत्र मान्य होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/प्रभात