चंडीगढ़: सीएसआर के तहत तीन साल में 1,457.13 करोड़ रुपये से अधिक खर्च
-शिक्षा के लिए 538.85 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण आवंटन भी शामिल है
चंडीगढ़, 7 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा का कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) में उल्लेखनीय निवेश है। प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में 1,457.13 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए, जिसमें शिक्षा के लिए 538.85 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण आवंटन भी शामिल है। यह जानकारी गुरुवार को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पर आयोजित बैठक में दी गई ।
बैठक मे दौरान मुख्य सचिव ने प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों और उपायुक्तों को सीएसआर के तहत संभावित परियोजनाओं को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव श्री कौशल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल और हरियाणा राज्य सीएसआर ट्रस्ट के अध्यक्ष के प्रदेश भर में सतत और समावेशी विकास को चलाने के दृष्टिकोण पर जोर दिया। इसमें सीएसआर निधियों के उपयोग के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्र के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करना और उन्हें सुविधाजनक बनाना शामिल है।
बैठक में सीएसआर परियोजनाओं व पहलों तथा उनके निष्पादन , पूरा होने की समय सीमा के आधार पर दो श्रेणियों को रेखांकित किया गया। श्रेणी 1 में ऐसी परियोजनाएं हैं, जिन्हें चालू वित्त वर्ष (31 मार्च, 2024 तक) के भीतर लागू किया जा सकता है। श्रेणी 2 में ऐसी परियोजनाएं शामिल की गई हैं, जो एक से दो साल के भीतर निष्पादित की जा सकती हैं और चरणों में लागू की जाएंगी।
हरियाणा राज्य सीएसआर ट्रस्ट वेब पोर्टल
हरियाणा राज्य सीएसआर ट्रस्ट (एचएससीएसआरटी) के पास एक समर्पित वेब पोर्टल है। जहां सभी सरकारी विभाग और जिले अपनी संभावित सीएसआर परियोजनाओं को प्रस्तुत कर सकते हैं। ये प्रस्तुतियां एचएससीएसआरटी, सरकारी विभागों और कॉर्पाेरेट भागीदारों को दिखाई देती हैं, जो एचएससीएसआरटी को ईमेल के माध्यम से अपनी संभावित परियोजनाओं का प्रस्ताव भी दे सकते हैं।
सीएसआर खर्च में हरियाणा अव्वल
हरियाणा सीएसआर खर्च में अव्वल स्थान पर है । पिछले तीन वर्षों में 1,457.13 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस अवधि के दौरान शिक्षा को 538.85 करोड़ रुपये मिले, जो इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पहचान किए गए सीएसआर क्षेत्रों में भूख, गरीबी और कुपोषण को समाप्त करना, स्वास्थ्य देखभाल, निवारक स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा देना, स्वच्छता और सुरक्षित पेयजल प्रदान करना, शिक्षा, व्यावसायिक कौशल और आजीविका के माध्यम से सशक्त बनाना शामिल है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजीव