हिसार : पशुशालाओं में अंगीठी, कोयला, लकड़ी का प्रयोग न करें पशुपालक : वैज्ञानिक
लुवास ने शीत ऋतु के दौरान पशुपालकों के लिए
जारी किए महत्वपूर्ण जनहित परामर्श
हिसार, 25 दिसंबर (हि.स.)। लाला लाजपत राय
पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास), के वैज्ञानिकों ने पशुपालकों
को सलाह दी है कि वे सर्द ऋतु में पशुशालाओं में अंगीठी, कोयला, लकड़ी अथवा धुएं वाले
हीटर का प्रयोग न करें। उन्होंने इसे अत्यंत खतरनाक और जानलेवा बताते हुए पशुपालकों
को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है।
विश्वविद्यालय के सह जनसंपर्क अधिकारी डॉ.
विशाल शर्मा ने गुरुवार काे कहा कि सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाने के उद्देश्य से बंद या कम
हवादार पशुशालाओं में अंगीठी या कोयला जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस
उत्पन्न होती है। यह गैस रंगहीन एवं गंधहीन होती है, जिससे इसकी पहचान करना कठिन हो
जाता है। गैस के कारण पशुशाला में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे पशुओं में
घुटन, सुस्ती, सांस लेने में परेशानी, बेहोशी तथा गंभीर मामलों में मृत्यु तक हो सकती
है। यह खतरा विशेष रूप से बछड़े-बछड़ियों, गर्भवती, बीमार एवं कमजोर पशुओं में अधिक
देखा जाता है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि यदि पशुओं में असामान्य
सुस्ती, तेज या उथली सांस, आंखों का लाल होना, मुंह से झाग आना या अचानक गिरने जैसे
लक्षण दिखाई दें, तो इसे गंभीरता से लेते हुए पशुओं को तुरंत खुले एवं हवादार स्थान
में ले जाना चाहिए तथा शीघ्र ही नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है। विश्वविद्यालय
ने पशुपालकों को स्पष्ट रूप से सलाह दी है कि रात्रि के समय पशुशालाओं में अंगीठी,
कोयला या लकड़ी का प्रयोग बिल्कुल न करें।
लुवास विशेषज्ञों ने सुरक्षित
विकल्पों को अपनाने पर भी जोर दिया है, जिनमें सूखा एवं मोटा बिछावन, ठंडी हवा रोकने
के लिए तिरपाल या पर्दों का प्रयोग, पशुओं को समूह में रखना तथा आवश्यकता अनुसार इन्फ्रारेड
बल्ब का सुरक्षित उपयोग शामिल है। साथ ही सर्दी के मौसम में पशु आहार एवं पोषण पर विशेष
ध्यान देने की सलाह दी गई है, ताकि पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे।
लुवास के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. निलेश सिंधु
ने बताया कि यह परामर्श पशुपालकों के हित में जारी की गई है और इसका उद्देश्य शीत ऋतु
के दौरान पशुओं की अनावश्यक क्षति को रोकना है। उन्होंने पशुपालकों से अपील की कि वे
स्वयं सतर्क रहें और इस महत्वपूर्ण सूचना को अधिक से अधिक पशुपालकों तक पहुंचाएं, ताकि
पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।उन्होंने स्पष्ट किया है कि पशुओं की सुरक्षा
ही उनकी सबसे अच्छी देखभाल है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर