महिला कल आज और कल का कार्यक्रम हुआ संपन्न
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (हि.स.)। नारी शक्ति संगम के अंतर्गत “महिला कल आज और कल” का आयोजन गत दिवस यमुना विहार स्थित डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर कॉलेज में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में प्रतिमा लाकड़ा ने कहा कि नारी शक्ति संगम के माध्यम से सभी बहनों को एक साथ एक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे समाज व राष्ट्र के विकास में महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महिला समन्वय दिल्ली प्रान्त की संयोजिका एडवोकेट प्रीतिमा लाकड़ा ने की और यमुना विहार विभाग की संयोजिका प्रतिभा भटनागर इस अवसर पर उपस्थित रहीं, कार्यक्रम में दिल्ली प्रांत कार्यकारणी सदस्य ओमप्रकाश, सतीश, राजवीर और यमुना विहार विभाग संघचालक अरुण, यमुना विहार विभाग प्रचारक श्रवण समेत कई लोग उपस्थित रहे।
तीन सत्रों में आयोजित कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि के. टोम्बी ने महिलाओं को निरंतर हिम्मत और लग्न से आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी और भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया। वहीं डॉ. विभूति ने नारी शक्ति संगम में आईं महिलाओं का मार्गदर्शन करते हुए बताया कि प्रत्येक राष्ट्र का एक आदर्श होता है जिसको समझना आवश्यक है व इसी समझ के आधार पर राष्ट्र का उत्थान किया जा सकता है साथ ही उन्होंने वैदिक युग से वर्तमान युग तक अनेक उदाहरणों के माध्यम से राजनीति, संस्कृति, समाज व अर्थी क्षेत्र में महिलाओं के अवदान को रेखांकित किया।
वहीं भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर कार्यक्रम के समापन सत्र में वात्सल्य ग्राम वृंदावन की अधिष्ठात्री परम पूज्य दीदी मां ऋत्मभरा ने कार्यक्रम में आयी हुई बहनों का मार्गदर्शन किया। उन्होने कहा कि भारत की नारी निराश्रित नहीं है वह तो प्रत्येक युग में समाज का नेतृत्व करती आई है और समाज व राष्ट्र के उत्थान में अग्रणी पंक्ति में खड़ी रही है।
भारतीय सनातनी व्यवस्था में पाली-बड़ी भारत की बेटियों का न केवल भारत में अपितु वैश्विक स्तर पर राष्ट्र का मान वर्धन किया है। मध्यकाल की राजनाइटिक गुलामी के कारण निश्चित की गई कुछ मर्यादाओं (बाल विवाह, पर्दा प्रथा) का वर्णन करते हुए उन्होने बताया कि ये मर्यादाएं कुछ समय के लिए निश्चित कि गयी व जब जब भारत को नेतृत्व की आवश्यकता हुई तब तब भारत में महिलाओं ने नेतृत्व प्रदान किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ अश्वनी/जितेन्द्र