पत्रकारिता में विश्वसनीयता बनाए रखना सबसे बड़ी जरूरत : प्रताप सोमवंशी

 


नई दिल्ली, 06 अगस्त (हि.स.)। सोशल मीडिया की फटाफट पत्रकारिता के दौर में परोसे जा रहे कंटेंट की विश्वसनीयता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। सोशल मीडिया की वजह से अन्य मीडिया वर्टिकल्स के सामने भी कंटेंट्स को जल्दी से परोसने की चुनौती है। समयाभाव में कंटेंट्स को जांचने-परखने की ज़हमत लोग कम उठाते हैं। उसकी वजह से परोसे गए कंटेंट्स की विश्वसनीयता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। ये बातें एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के प्रबंध संपादक प्रताप सोमवंशी ने कहीं।

वे मंगलवार को गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के पूर्वी परिसर स्थित आईपी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन (यूएसएमसी) के पहले वर्ष के छात्रों के लिए आयोजित आेरिएंटेशन कार्यक्रम के दूसरे दिन के सत्र को संबोधित कर रहे थे। सोमवंशी ने छात्रों को सफल पत्रकार बनने के लिए पढ़ने और लिखने की आदत डालने को कहा। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के पास हर विषय का थोड़ा-थोड़ा ज्ञान अवश्य होना चाहिए। उसके लिए रोज़ाना अख़बार पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञान के विकास के लिए नया जानने की उत्सुकता बनी रहनी चाहिए। उन्होंने पत्रकारिता में तकनीक के बढ़ते दख़ल के बारे में भी विस्तार से बताया।

सोमवंशी ने बताया कि मल्टी-टास्किंग के समय में पत्रकार की भूमिका बदल गई है। ऐसे में हमें अपने आप को बदलते समय के साथ काम करने के लिए तैयार करना पड़ेगा।

दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी एवं भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता में प्रशिक्षित सुशील सिंह ने इस अवसर पर कहा कि जनसंचार के क्षेत्र में अब अवसर विविध और बेशुमार हैं। जितने अवसर पर्दे पर आने वाली पत्रकारिता में हैं, उससे कई गुना पर्दे के पीछे की पत्रकारिता में हैं।

इस कार्यक्रम में एमए (एमसी)और बीए (जेएमसी) पाठ्यक्रमों के छात्रों को संकाय, पाठ्यक्रम, प्रयोगशालाओं और विश्वविद्यालय के नए ईस्ट कैम्पस से रूबरू कराया गया।

प्रो. एके सैनी, डीन, यूएसएमसी ने विश्वविद्यालय और इसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च रैंकिंग के बारे में छात्रों को बताया। उन्होंने छात्रों से अपने जीवन के इस स्वर्णिम काल में पूरी लगन से पत्रकारिता की बरीकी काे सीखने को कहा।

इस अवसर पर यूएसएमसी के अन्य वरिष्ठ संकाय सदस्य एवं अधिकारी उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार / रामानुज