केजरीवाल सरकार के स्कूलों के पांच साल पूरे, हुआ राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली सरकार के आंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम के 5 साल पूरा होने के जश्न में बुधवार को एससीईआरटी दिल्ली द्वारा 'उद्यमशीलता शिक्षा की शक्ति' विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन में नामी यंग आंत्रप्रेन्योर्स और शिक्षाविदों ने शिरकत की। इस राष्ट्रीय सम्मेलन के साथ आयोजित एक्सपो में दिल्ली सरकार के स्कूलों के 'बिज़नेस ब्लास्टर्स' 2022-23 बैच के छात्रों ने अपने बिज़नेस आइडियाज़ व प्रॉडक्ट्स को भी प्रदर्शित किया। साथ ही 8 राज्यों से माइंडसेट डेवलपमेंट, एजुकेशन व ईको-सिस्टम विषय पर आए 45 रिसर्च पेपर्स का भी प्रस्तुतीकरण हुआ।
सम्मेलन में युवा आंत्रप्रेन्योर्स, सफल उद्यमियों, छात्रों व शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रेजेंटेशन व पैनल डिस्कशन का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री आतिशी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई।
इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने साझा करते कहा कि हम जब शिक्षा की बात करते हैं तो उसका एक मुख्य उद्देश्य ये होता है। छात्रों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना, लेकिन आज हमारे देश में युवा बेरोजगारों की बड़ी संख्या है। ऐसा इसलिए है क्योंकि, जब स्टूडेंट्स स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर के निकलते है तो एक अच्छी नौकरी की तलाश करना शुरू कर देते है। इन युवाओं की संख्या करोड़ों में होती है लेकिन में देश में न तो इतनी बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां है और न ही प्राइवेट नौकरियां है।
उन्होंने कहा कि देश में स्टूडेंट्स के माइंडसेट में बचपन से ही ये डाल दिया जाता है कि पढ़ाई-लिखाई का उद्देश्य एक अच्छी नौकरी पाना है, लेकिन आंकड़ों को देखे तो हर साल जितनी बड़ी संख्या में युवा देश में स्कूलों-कॉलेजों से पढाई पूरी कर निकल रहे है, ऐसे में 2030 तक देश को 90 मिलियन (9 करोड़) नॉन-एग्रीकल्चर नौकरियों की जरूरत होगी यानि 2030 तक प्रतिदिन देश में 27,000 नई नौकरियां तैयार करने कि जरूरत होगी।
आगे आतिशी ने कहा कि ऐसे में बहुत बड़ा सवाल ये है कि वो हर युवा जो अपने स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके निकलता है, उसका उद्देश्य अगर अच्छी नौकरी पाना रह गया तो जॉब्स क्रिएट कौन करेगा? इस समस्या के समाधान के लिए केजरीवाल सरकार के स्कूलों में आंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम की शुरुआत की गई।
हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी/आकाश