ब्रिटिश लिंग्वा ने धूमधाम से मनाया जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का जन्मदिन
नई दिल्ली/पटना, 26 जुलाई (हि.स.)। अंग्रेजी सीखने एवं अध्ययन के लिए प्रमुख संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के प्रांगण में नोबेल पुरस्कार विजेता जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। पटना में आयोजित इस कार्यक्रम में जाने-माने लेखक एवं ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंध निदेशक डॉ. बीरबल झा ने शुक्रवार को कहा कि जार्ज बर्नार्ड शॉ न केवल अपनी साहित्यिक कृतियों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं बल्कि उनके विचार बिजनेस मैनेजमेंट में भी शोध का विषया हैं।
डॉ. बीरबल झा ने कहा कि बेबाकी से अपनी बातों को रखने, कटाक्ष के अद्भुत शैली के लिए ख्यातिप्राप्त जॉर्ज बर्नार्ड शॉ एक सफल नाटककार ही नहीं, वरन एक महान वक्ता भी थे। उन्होंने बताया कि आयरलैंड में जन्मे और इंग्लैंड में पले-बढ़े जॉर्ज बर्नार्ड शॉ पूरे विश्व में उच्चतम कोटि के विचारक और राजनेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। अंग्रेजी शिक्षण के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था ब्रिटिश लिंग्वा के छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. बीरबल झा ने कहा कि हमें जॉज बर्नार्ड शॉ के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
डॉ. झा आज लेट्स लर्न फ्रॉम जॉज बर्नार्ड शॉ विषयक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर ए.एन. कॉलेज, अंग्रेजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर शैलेन्द्र मिश्रा ने कहा कि जॉर्ज बर्नार्ड शॉ 19वीं और 20वीं शताब्दी के महानतम नाटककार थे। उन्होंने अपने नाटकों के लिए जन सामान्य में आकर्षण पैदा किया। प्रो. मिश्रा ने कहा कि जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने तत्कालीन परंपराओं से संबंधित विषयों पर लिखा। शैलेन्द्र मिश्रा ने आगे कहा, बहुत लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा की जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने वेश्यावृति को जायज ठहराया। बर्नार्ड शॉ का हीरो नवयुवक या बहुत सुन्दर नहीं होता था। ऐसे ही कई सामाजिक रूढ़िवादी धारणा को जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने तोड़ा।
ब्रिटिश लिंग्वा के छात्रों को संबोधित करते हुए टुडे ट्विग्स के एडिटर आशीष कोइलखिया ने कहा, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ 'के जीवन से सीखने लायक बहुत चीजें हैं जैसे की उनका बिज़नेस स्किल, लोगों को अपने शब्दों से मंत्र मुग्ध करने का स्किल, लिखने की उनकी अद्भुत कौशल और अन्य कई सारी चीज़ें। इस सेमिनार में देश के जाने-माने संपादक, ऑक्सफ़ोर्ड से पढ़े सुमित पॉल को जॉर्ज बर्नार्ड शॉ सम्मान 2024 से नवाजा गया। समारोह में ब्रिटिश लिंग्वा के सभी छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गौरतलब है कि ब्रिटिश लिंग्वा की स्थापना 1993 में डॉ. बीरबल झा ने की थी, जो 2014 से इसके प्रबंध निदेशक है। ब्रिटिश लिंग्वा का उद्देश्य भारत में समाज के सभी वर्गों के लिए अंग्रेजी के अध्ययन तक निर्बाध पहुंच प्रदान करना है।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर / प्रभात मिश्रा