विपक्ष की आवाज़ दबा रही है आम आदमी पार्टी की सरकार: विजेंद्र गुप्ता
नई दिल्ली, 29 नवंबर (हि.स.) दिल्ली विधानसभा के आखिरी सत्र के पहले दिन शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने वॉकआउट कर दिया।
स्पीकर रामनिवास गोयल द्वारा नियम 280 के तहत उठाए जाने वाले मुद्दों को सूचीबद्ध सदस्यों द्वारा पढ़े जाने के रूप में घोषित किए जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। उन्होंने इस बात पर भी विरोध जताया कि तीन दिवसीय सत्र में प्रश्नकाल की व्यवस्था नहीं की गई है। हालांकि आज विधानसभा सत्र की शुरुआत पिछले साल बस मार्शलों को उनकी नौकरी से हटाए जाने के मुद्दे पर चर्चा से हुई।
सदन से वॉकआउट करने के बाद नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने पत्रकारों से बातचीत में आम आदमी पार्टी की सरकार पर विपक्षी विधायकों की आवाज को दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आआपा की सरकार द्वारा अपनी गलतियों और असफलताओं को छुपाने के लिए भाजपा विधायकों को सदन में बोलने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि नियम-280 के अंतर्गत विजेंद्र गुप्ता व भाजपा के अन्य विधायकों ओम प्रकाश शर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, जितेंद्र महाजन, अभय वर्मा, अजय महावर और अनिल बाजपेई के विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए नोटिस को स्वीकार करने के बावजूद उन्हें सदन में बोलने और उसकी चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई।
गुप्ता ने आरोप लगाया कि विपक्ष को बोलने का मौका न देने की मंशा के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने नियम-280 के प्रावधान को ही सदन की कार्यवाही से निकाल दिया। विरोधस्वरूप विपक्षी विधायकों ने सदन की कार्यवाही से वॉकआउट कर दिया।
गुप्ता ने कहा विपक्ष अरविंद केजरीवाल के शीशमहल पर करोड़ों रुपये के भोग-विलासिता के संसाधन जुटाये जाने, रोहिंग्याओं को दिल्ली सरकार द्वारा वोटर कार्ड जारी करने और उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल करने, कैग की लंबित पड़ी 14 रिपोर्टस को सदन पटल में रखने जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहता था और सरकार से इन सभी मुद्दों पर जवाब मांगना चाहता था लेकिन सत्तारूढ़ आआपा उन्हें इन मुद्दों पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई।
गुप्ता ने कहा कि आआपा अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहती है, इसीलिए इस सत्र में प्रश्नकाल का प्रावधान ही नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि इस साल विधानसभा के जितने भी सत्र बुलाये गए उसमें एक बार भी प्रश्नकाल की व्यवस्था नहीं की गई । यह विधायकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / माधवी त्रिपाठी