प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं : भूपेश
रायपुर, 27 जून (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश ने गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि विधानसभा सत्र की घोषणा हो गई है। संसदीय कार्य मंत्री इस्तीफा दे दिए हैं, शिक्षा सत्र शुरू हुआ है। शिक्षा मंत्री ही नहीं है। अभी स्कूलों में ताला लगे हैं। स्कूलों की बिल्डिंग नहीं है, कहीं शिक्षक नहीं है, कहीं एकल शिक्षक है उसकी शिकायतें लगातार आ रही है और उसमें भी तालाबंदी तक की नौबत आ गई है।
विधानसभा सत्र के लिये हमारे पास तो मुद्दे बहुत है। एक तो सबसे बड़ी बात है बलौदाबाजार में जो आगजनी हुआ है, कुकदूर में 19 लोगों की मौते हुई है। आये दिन हत्याएं, बलात्कार हो रही हैं सबसे ज्यादा कवर्धा जिले में हो रहा है, गृह मंत्री के क्षेत्र में हो रहा है, दर्जनों हत्या, दर्जनों बलात्कार की घटनाएं और कानून व्यवस्था नाम की चीज रही नहीं यह तो सबसे बड़ा मुद्दा है। दूसरा मानसून सत्र शुरू होने वाला है जो खेती किसानी से जुड़ा हुआ मामला है। मानसून वैसे ही विलंब है। खाद बीज की उपलब्धता नहीं के बराबर है। उस मामले में भी सवाल उठाया जाएगा। शिक्षा सत्र चल रहा है, ये मुद्दे भी उठेंगे। विपक्ष के पास तो मुद्दे ही मुद्दे है। इसको लगातार उठाया जाएगा लेकिन समय कम है इसको बढ़ाया जाना चाहिये।
वीर नारायण सिंह जी महापुरुष है हमारे छत्तीसगढ़ के और डॉ. खूबचंद बघेल के स्वप्न दृष्टया के रूप में उसे याद करते हैं और जिस दिन सत्र शुरू हो रहा है 22 जुलाई उस दिन पुण्यतिथि है और ऐसे समय में सरकार के द्वारा नाम बदले जाना दुर्भाग्यजनक है। महेंद्र कर्मा के नाम से जो तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा योजना हम लोगों ने शुरू किया था उसको भी बंद कर दिया गया है। इस प्रकार से महापुरुषों के नाम से जो योजनाएं हम लोगों ने शुरू किया था उसको बंद किया जाना। स्वामी आत्मानंद के नाम से जो स्कूल शुरू किए थे, शिक्षा क्षेत्र में उसका योगदान रहा है। उनके पिताजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं। वो विवेकानंद आश्रम से जुड़े रहे और यहाँ जो नारायणपुर में जो आश्रम है उन्हीं की देन है।
राजधानी रायपुर में भी घंटों बिजली गुल, ग्रामीण क्षेत्रों में कई-कई दिनों तक बिजली नहीं है। बिजली बिल बेतहाशा आ रहा है, चाहे घरेलू उपभोक्ता की बात करे, चाहे पंप कनेक्शन की बात करे बिजली बिल बढ़े हुये दरों पर आ रहा है। बिजली आ नहीं रही है और बिजली बिल मनमाना आ रहा है। किसी भी क्षेत्र में आज देख ले बद से बदतर स्थिति है। विष्णुदेव साय से सरकार संभल नहीं रही है। न व्यवस्था समझ आ रहा है, न खाद बीज की व्यवस्था कर पा रहे है, बस केवल नाम बदल रहा है।
पूरे प्रदेश में खाद बीज की शिकायत लगातार मिल रहा है, इसमें अमानक बीज के अनेक शिकायतें आ रही हैं, जिसमें से 70-80 प्रतिशत तक के अंकुरित नहीं है, केवल 20-30 प्रतिशत अंकुरित हो रहा है। एक तो वैसे भी मानसून रूठा हुआ है। औसत बारिश कम हुई है। खाद, बीज का नहीं मिलना, लगातार खेती के कमी की शिकायतें हो रही हैं, यूरिया के शिकायतें आ रही हैं, और अमानक बीज की शिकायतें आ रही हैं। दूसरी तरफ जुन का महीना बीतने जा रहा है, अभी तक के धान संग्रहण केंद्रों से, सोसाइटियों से धान का उठाव नहीं हो पाया है, जबकि पिछले साल मार्च में एक-एक दाना धान का उठाव हो चुका था।
छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ का पत्र आज ही उनके प्रतिनिधि मिला और बताया कि अधिकारी सोसाइटी के कर्मचारियों को धमकी दी जा रही है, कि ये जो सुखत का जो अंतर है, जो सुख गया है, जो नुकसान हुआ है, उसके भरपाई तुम करो नहीं तो तुम्हारे खिलाफ एफआईआर किया जायेगा। जबकि इसी प्रकार की घटना पहले भी भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल पूर्ववर्ती सरकार में भी हुआ था। हमारे शासन काल में जब करोना काल आया था, तो ट्रांसपोर्टिंग बंद था, और उसके कारण से धान उठाव नहीं हुआ था, उस समय भी नुकसान हुआ था, और सुखत आया था, उसके भरपाई शासन की तरफ से किया गया था। आज यदि सरकार के लापरवाही से यदि उठाव नहीं हुआ है, तो उसका खामियाजा समिति के कर्मचारी, अधिकारियों को नहीं होना चाहिये।
हिन्दुस्थान समाचार/ चंद्रनारायण शुक्ल