नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ सूर्योपासना का चार दिवसीय छठ पर्व

 


जगदलपुर, 17 नवंबर(हि.स.)। दीपावली के छठवें दिन छठ का पर्व पूर्वी उतरप्रदेश, झारखण्ड व बिहार में धूम-धाम से मनाया जाता है। शहर में भी छठ पर्व मिथिला समाज के अलावा अन्य समाज के लोगों के द्वारा भी पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ मनाया जाता है। आस्था का पर्व छठ शुक्रवार को 17 नवम्बर को नहाय खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत की गई। 18 नवंबर को खरना, 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य, 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिए जाने के साथ ही छठ पर्व का परायण होगा।

मिथिला समाज के शंकर झा ने बताया कि यह व्रत काफी कठिन माना जाता है। छठ व्रत में व्रती महिलाएं करीब 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं। छठ का व्रत संतान की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। छठ में भगवान सूर्य देव और छठी मईया की पूजा की जाती है। छठ का व्रत महिलाओं के अलावा पुरुष भी रख सकते हैं। छठ पर्व में पवित्रता का बहुत अधिक महत्व है।

आज शुक्रवार को व्रतधारी नदी या तालाब में डुबकी लगाकर व पूजा पाठ कर व्रत रखा। मिथिला समुदाय के द्वारा यह पर्व शहर के गंगामुण्डा तालाब में भव्य रूप से मनाया जाता है। जहां पर अस्तगांचल और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे