सिवनी च की रूखमणी पाण्डेय बनी लखपति दीदी, आत्मनिर्भरता की बनी मिसाल
कोरबा/जांजगीर-चांपा 31 दिसम्बर (हि. स.)। विकासखंड बलौदा अंतर्गत ग्राम सिवनी (च) की रहने वाली रूखमणी पाण्डेय आज ग्रामीण महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की प्रेरक पहचान बन चुकी हैं। कभी एक सामान्य गृहिणी के रूप में पूरी तरह परिवार पर आश्रित रहने वाली रूखमणी पाण्डेय आज हर महीने 15 से 20 हजार रुपये की आय अर्जित कर न केवल अपने परिवार को संबल दे रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। रूखमणी पाण्डेय के पति पशुपालन का व्यवसाय करते थे, लेकिन कोरोनाकाल और लॉकडाउन के दौरान हुए भारी नुकसान के कारण यह व्यवसाय लगभग बंद होने की स्थिति में आ गया। आर्थिक कठिनाइयों के इस दौर ने रूखमणी के भीतर कुछ नया करने और परिवार की जिम्मेदारी में भागीदार बनने की प्रेरणा जगाई।
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन “बिहान” अंतर्गत लखपति दीदी पहल से जुड़ने के बाद रूखमणी पाण्डेय के जीवन में निर्णायक बदलाव आया। गांव में आरबीके दीदी के सहयोग से उन्होंने अपने आसपास की महिलाओं को एकजुट कर जय अम्बे महिला स्व सहायता समूह, सिवनी (च) का गठन किया। 25 फरवरी 2020 को गठित यह समूह उन्नति महिला ग्राम संगठन सिवनी (च) और बिहान महिला क्लस्टर संगठन कुरदा से जुड़ा हुआ है। समूह के माध्यम से रूखमणी पाण्डेय को बैंक लिंकेज के तहत एक लाख रुपये तथा समूह से अतिरिक्त ऋण प्राप्त हुआ। इस आर्थिक सहयोग से उन्होंने अपने परिवार के पुराने पशुपालन व्यवसाय को पुनः शुरू किया, साथ ही आचार, पापड़, मसाला और अगरबत्ती निर्माण जैसी विविध आजीविका गतिविधियों की शुरुआत की। जिससे रूखमणी पाण्डेय न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी हैं, बल्कि अपनी छोटी-बड़ी जरूरतें स्वयं पूरी कर रही हैं। वे अपने समूह की अन्य महिलाओं को भी आजीविका गतिविधियां अपनाने के लिए लगातार प्रेरित कर रही हैं।
रूखमणी पाण्डेय ने कहा कि “लखपति दीदी पहल ने मुझे आत्मविश्वास दिया, पहचान दी और अपने पैरों पर खड़ा होने का अवसर दिया। इसके लिए मैं केंद्र एवं राज्य सरकार का हृदय से धन्यवाद करती हूं। आज रूखमणी पाण्डेय की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि सही मार्गदर्शन, समूह की ताकत और सरकारी योजनाओं के सहयोग से ग्रामीण महिलाएं भी आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख सकती हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/हरीश तिवारी
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हिन्दुस्थान समाचार / हरीश तिवारी