विश्वविद्यालयों के अस्तित्व के लिए नये-नये क्षेत्रों में रिसर्च जरूरी : राज्यपाल

 




राज्यपाल ने किया कुलपतियों के दो दिवसीय समागम का शुभारंभ

रायपुर, 18 जनवरी (हि.स.)। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने गुरुवार को बिलासपुर के केन्द्रीय गुरू घासीदास विश्वविद्यालय में भारतीय विश्वविद्यालय संघ मध्य क्षेत्र द्वारा आयोजित कुलपतियों के दो दिवसीय समागम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सच्चे इंसान गढ़ने की फैक्टरी एवं प्रमुख केन्द्र हैं। नये-नये अनुसंधान एवं नवाचारों के माध्यम से नये ज्ञान का सृजन करना इनका महत्वपूर्ण काम है। विश्वविद्यालय के स्वयं के अस्तित्व के साथ-साथ देश दुनिया की निरंतरता के लिए भी नित नये अनुसंधान किया जाना अनिवार्य माना गया है।

राज्यपाल ने इस अवसर पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘यूनिवर्सिटीस न्यूज‘ के विशेषांक का विमोचन भी किया। शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष जीडी शर्मा ने की एवं विशेष अतिथि के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के सचिव अतुल कोठारी उपस्थित थे। समागम में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उप्र, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना राज्यों के विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं शिक्षाविद् बड़ी संख्या में शामिल हुए।

राज्यपाल हरिचंदन ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस बैठक से कुछ ठोस सिफारिशें सामने आएंगी जो सरकार और उच्च शिक्षा के शीर्ष संस्थाओं और युवाओं के लिए मददगार साबित होंगी। उन्होंने कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों ने अनुसंधान के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन इसमें और बहुत कुछ किये जाने की संभावना है। विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग में केवल 75 भारतीय विश्वविद्यालय शामिल हैं, लेकिन उनमें से कोई भी शीर्ष 200 रैंक तक नहीं पहुंच सका। इनमें सुधार के लिए एक अच्छी अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है।

राज्यपाल ने कहा कि देश में नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने और एक मजबूत इको-सिस्टम बनाने के लिए भारत सरकार ने एक ‘स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान‘ लॉन्च किया है जो मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को हैंडहोल्डिंग फंडिंग और इनक्यूबेशन के माध्यम से सहायता प्रदान करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 रिपोर्ट में भी अनुसंधान और नवाचार पर पर्याप्त जोर दिया गया है। विश्वविद्यालयों को उद्योगों, सरकार और अन्य हितधारकों के साथ संबंध मजबूत करने चाहिए।

हरिचंदन ने स्वतंत्रता के बाद देश की विकास यात्रा पर रोशनी डाली। उन्होंने जय जवान, जय किसान से लेकर जय, जवान, जय किसान, जय विज्ञान एवं जय अनुसंधान तक की विकास यात्रा के विभिन्न सोपानों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने कोरोना वैक्सीन विकसित की। इससे न केवल हमारे देश के नागरिकों को जानलेवा कोरोना से बचाया अपितु 50 से भी अधिक देशों को निशुल्क वैक्सीन देकर उनकी भी प्राणरक्षा कर मानवता का परिचय दिया।

हरिचंदन ने कहा कि हमारा देश आज विश्व राजनीति में अहम भूमिका अदा कर रहा है। बड़ी से बड़ी समस्याओं के निबटारे में भारत की राय पर विचार किया जा रहा है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। समस्याओं को आपसी विचार-विमर्श से निपटाने में हमारा विश्वास है। इसके अलावा हिंसा या अन्य कोई साधन से स्थायी शांति नहीं आ सकती है।

समारोह को भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष जीडी शर्मा, उपाध्यक्ष विनय कुमार पाठक, डॉ. अतुल कोठारी ने भी सम्बोधित किया। स्वागत भाषण केन्द्रीय गुरू घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक कुमार चक्रवाल एवं आभार ज्ञापन कुलसचिव मनीष श्रीवास्तव ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ चंद्रनारायण शुक्ल