धमतरी : सांकरा की अम्बा बाई को मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

 


धमतरी, 13 दिसंबर (हि.स.)। नगरी विकासखंड के सांकरा ग्राम पंचायत निवासी अम्बा बाई के जीवन में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने खुशियों की नई रोशनी भर दी है। वर्षों से कच्चे, मिट्टी और खपरैल की छत वाले घर में रहने को मजबूर अम्बा बाई और उनके पति नारायण का पक्का घर बनाने का सपना अब साकार हो गया है।

नारायण मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते थे। बरसात के दिनों में उनका कच्चा घर बड़ी मुसीबत बन जाता था। छत से पानी टपकता, घर में पानी भर जाता और बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती थी। सांप-बिच्छुओं का डर अलग से रहता था, लेकिन पक्के घर का सपना केवल सपना ही बना हुआ था। ग्राम पंचायत से प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की जानकारी मिलने के बाद अम्बा बाई को नई उम्मीद मिली। सरपंच और सचिव के सहयोग से उन्होंने आवेदन किया। कुछ समय बाद जब यह सूचना मिली कि उनका नाम लाभार्थी सूची में शामिल हो गया है, तो पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत हितग्राही आईडी के माध्यम से अम्बा बाई को एक लाख 20 हजार रुपये की सहायता राशि तथा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 90 मानव दिवस की मजदूरी प्राप्त हुई। इस सहायता से उन्होंने अपने पुराने कच्चे मकान के पास ही नए पक्के घर का निर्माण शुरू किया। योजना की किस्तों और नारायण की मेहनत से धीरे-धीरे पक्की दीवारें खड़ी हुईं और मजबूत छत बनी, जिसने बरसात के डर को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। घर में शौचालय बनने से परिवार को स्वच्छता और सम्मानजनक जीवन मिला। निर्माण कार्य में अम्बा बाई ने स्वयं भी मेहनत कर सहयोग किया। मकान पूर्ण होने पर शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से गृह प्रवेश किया गया। यह दिन अम्बा बाई और उनके परिवार के लिए जीवन का सबसे यादगार दिन बन गया। आज परिवार पक्की छत के नीचे सुरक्षित महसूस करता है और बच्चों को पढ़ाई के लिए स्थिर व सुरक्षित माहौल मिला है। अम्बा बाई और नारायण ने कहा कि यह मकान सिर्फ चार दीवारें नहीं, बल्कि उनकी मेहनत और सरकार की संवेदनशील योजनाओं का परिणाम है, जिसने उन्हें सम्मान के साथ जीने का अवसर दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा