पोला पर्व पर पशुधन की हुई पूजा, बच्चों ने दौड़ाया नांदिया बैल
धमतरी, 2 सितंबर (हि.स.)।ग्रामीण अंचल का प्रमुख पर्व पोला, शहर और ग्रामीण क्षेत्र में उत्साह और उमंग से मनाया गया। इस दौरान गांवों में पशुधन की पूजा-अर्चना कर धन धान्य और सुख समृद्धि की कामना की गई। बच्चों ने नांदिया बैल दौड़ाकर और मिट्टी के खिलौने खेलकर खूब आनंद उठाया। घरों मेें तैयार छत्तीसगढ़ी पकवान ठेठरी, खुरमी सहित अन्य तरह मनभावक पकवानों का लोगों ने लुत्फ उठाया।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा में पोला पर्व का खास स्थान है। गांवों में इस त्योहार को मनाने की तैयारी एक दिन पहले ही शुरू हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में देर रात्रि से ही बैगाओं की टोलियों ने घूम-घूमकर कर गांव के देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर बेहतर उपज के लिए कामना की गई। पोला त्योहार मनाने के पीछे मान्यता है कि भादो माह में खेती-किसानी काम समाप्त होने के बाद इसी दिन दिन खेतों में लगाए गए धान के पौधों के बालियांं तैयार होने लगती है, जिसकी खुशी और बेहतर उत्पादन की आस में यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार पुरुषों स्त्रियों एवं बच्चों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है। स्त्रियां इस त्योहार के वक्त अपने मायके जाती हैं।
अंचल के अधिकतर गांवों में एक निर्धारित स्थल पर पोरा पटकने का स्थान चिन्हांकित किया गया था। जहां वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को बनाए रखने हर्षोल्लास के साथ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सभी वर्ग के पुरुषों के अलावा खासकर ग्रामीण महिलाएं युवतिया खेलकूद में खो_ खो खेलने के लिए एकत्रित हुई नजर आई। घरों में बने ठेठरी खुरमी व्यंजन का स्वाद सभी वर्ग के लोगों ने उठाया। वहीं अब लोग पोला के बाद तीजा पर्व मनाने की तैयारी में है। छत्तीसगढ़ की परंपरा में आज भी बेटी-बहन तीजा का त्योहार मनाने अपने मायके आ जाती हैं, इसलिए पोला पर्व में त्योहार मनाते समय खासतौर पर सभी परिवार के सदस्य एकजुट होकर इस पर्व को मनाते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा