विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस-देश का विभाजन मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक : मुख्यमंत्री साय
रायपुर, 14 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज बुधवार को राजधानी रायपुर स्थित मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित ’विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ संगोष्ठी में शामिल हुए। संगोष्ठी कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश एवं विचारक एवं फ़िल्म कलाकार मुकेश खन्ना उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर उन लाखों लोगों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने देश के विभाजन के दौरान अमानवीय पीड़ा झेली, अपनी जान गंवाई, बेघर हो गए।
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर कहा कि भारत का विभाजन सिर्फ देश का विभाजन नहीं था, यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक थी। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस हमें याद दिलाता है कि भारत की एकता और अखंडता को कैसे चोट पहुंचाई गई। विभाजन का दंश झेलने वाली पीढ़ी ने जो वेदना सही है, उसे वर्तमान और आने वाली पीढ़ियां कभी नहीं भूलेंगी। भारत विभाजन के दौरान लोगों का विस्थापन हुआ, बड़े पैमाने पर हत्या और बलात्कार हुए। लोग अपनी जड़ो से बिछड़ कर शरणार्थी बनने को विवश हुए। लोगों ने मजबूरी में जिस तरह पलायन किया उसकी दर्दनाक तस्वीरों को कोई नहीं भूल सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दिवस हमें देश की एकता और अखंडता की आवश्यकता और इसके लिए एकजुट रहने का सबक भी देता है। इतिहास में की गई गलतियों से जो देश और समाज सीख नहीं लेते हैं, उन्हें बहुत बड़े नुकसान उठाने पड़ता है। देश के विभाजन के दौरान लोगों ने कितनी कठिनाइयां झेली, किस दर्द को झेला यह इस त्रासदी को झेलने वाले ही जान सकते हैं। विभाजन से लाखों हिंदुओं ने कितनी यातनाएं झेली, हजारों, लाखों की संख्या में हत्याएं, बलात्कार जैसी घटनाएं हुई। यह सब सिर्फ नेताओं के स्वार्थ के कारण हुआ। उन्होंने अपने स्वार्थ को देश से उपर रखा। इसी विभाजन से कटकर जो बांग्लादेश बना आज वहां के हालात कैसे हैं, आप सभी जानते हैं, वहां अलगाववादी ताकतों ने क्या-क्या किया पूरी दुनिया यह देख रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश भारत में जहां हम सभी ने कभी धर्म, जाति या रंग के आधार पर किसी भी तरह का द्वेष या भेद नहीं किया है, क्योंकि हम सर्वे भवन्तु सुखिनः और वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र को मानने वाले लोग हैं। विभाजन विभीषिका का आज के इस दिन का स्मरण इसलिए भी महत्वपूर्ण है ताकि हम इस विभीषिका के दंश को समझ सके और इतिहास से सीख लें। हमें अलगाववादी विभीषिका से सावधान रहने की जरूरत है। मुख्यमंत्री श्री साय ने उपस्थित लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि हम राष्ट्र की एकता और अखंडता, सम्प्रभुता और समरसता को बनाए रखने के लिए कार्य करें। देश को अपने स्वार्थ से उपर रखें। इस अवसर पर विभाजन विभीषिका का दंश झेल चुके लोगों को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।
करोड़ों लोगों को अपनी ही भूमि से निर्वासित होना पड़ा-भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन हमें बताता है कि हमें गलतियों की पुनरावृत्ति नहीं होने देना है, जो समाज और देश अपनी पिछली गलतियों को सुधारते हुए भविष्य की नीतियों का अवलंबन करता है वो समाज और देश आगे बढ़ता है। यह हमें आगे के गौरवमयी भविष्य गढ़ने की भी सीख देता है। 15 अगस्त 1947 को हम स्वतंत्र हुए, कल 78वां स्वतंत्रता दिवस हम मना रहे हैं। लेकिन जब देश स्वतंत्रता के जश्न में डूबा था दूसरी ओर लाखों परिवार के घर टूटकर बिखर गए थे, 2 लाख से लेकर 20 लाख तक की आबादी हत्या की शिकार हुई। करोड़ों लोगों को अपनी ही भूमि से निर्वासित होना पड़ा।
शिवप्रकाश ने आगे कहा कि कलकत्ता में एक दिन में 10 हजार से ज्यादा लोगों का कत्ल कर दिया गया था।अंग्रेज अधिकारियों ने लिखा है कि जब वे निरीक्षण को गए तो पैर रखने की जगह नहीं थी। अंग्रेजों को जब यह लगा कि जब हमें भारत छोड़ना ही पड़ेगा तो उन्होंने साजिश रची और डिवाइड एंड रूल की नीति अपनाई। 14 अगस्त 1947 में भारत का विभाजन एक ऐसी त्रासदी थी जिसकी पीड़ा आज भी अनगिनत आँखों में महसूस की जाती है। राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को साधने के लिए धर्म के आधार पर देश के विभाजन ने रक्तपात, घृणा, निर्वासन के दंश से भारत मां की आत्मा को छलनी कर दिया।
जयचंद और मीर जाफर हमारे किलों के दरवाजे खोल देते हैं -विचारक एवं फ़िल्म कलाकार मुकेश खन्ना ने कहा कि आज हम कलयुग में जी रहे हैं, उस समय नीति शास्त्र था आज साजिशों से हमले होते हैं। जयचंद और मीर जाफर हमारे किलों के दरवाजे खोल देते हैं। राजनीति में जब धर्म आया तब पाकिस्तान बना, हिंदुस्तान बना। आज धर्म राजनीति में आ गया। राजा देश के लिए होता है देश राजा के लिए नहीं होता, यह बात युधिष्ठिर से भीष्म पितामह को कही थी। उन्होंने अपने जीवन का अनुभव बताते हुए कहा कि विभाजन मैंने नहीं देखा मेरे पिता ने देखा था।
खन्ना ने कहा कि हमारे सरदार भाइयों ने बोरे में भरकर अपने सम्बन्धियों और रिश्तेदारों को पाकिस्तान से हिंदुस्तान लाया था। मेरे पिता ने मुझे विभाजन का अनुभव बताया उन्होंने मुझे बताया कि किस तरह यह त्रासदी झेली गई, क्या-क्या बीता। मैं चाहता हूं कि देश का नेता शक्तिमान और भीष्म पितामह बने लेकिन धृतराष्ट्र न बने। उन्होंने सभी से विभाजन के विभीषिका के दिन हुई त्रासदी को याद करके देश की प्रगति में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने और सौहार्द को बनाए रखने की अपील की।
विभीषिका स्मृति दिवस समस्त काले अध्याय व घटनाओं का स्मरण कराता है-रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि 15 अगस्त को हम सब आजादी का उत्सव मनाते हैं लेकिन इसके एक दिन पहले जो विभाजन का दंश झेला गया है वह हमेशा झकझोर देने वाली घटना रहेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का निर्णय हमें उन समस्त काले अध्याय व घटनाओं का स्मरण कराता है, जिसमें विभाजन के दौरान लोगों ने अत्यंत अमानवीय यातनाएं सहीं।पलायन के निर्दय कष्ट उठाए।अपने परिश्रम से कण-कण जोड़कर बनाए घर-द्वार, संपत्ति से वंचित हो गए। असंख्य लोगों ने जीवन खो दिया। कार्यक्रम के संयोजक श्री अमरजीत सिंह छाबड़ा ने अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया।
संगोष्ठी में रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा, रायपुर ग्रामीण विधायक मोतीलाल साहू, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, संगठन महामंत्री पवन साय, प्रदेश कार्यक्रम संयोजक अनुराग सिंहदेव, रायपुर जिला के अध्यक्ष जयंती भाई पटेल, रायपुर जिला के महामंत्री रमेश ठाकुर, सत्यम दुबा सहित प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा / चन्द्र नारायण शुक्ल