लोस 24 :कांकेर लोकसभा सीट पर 1998 के बाद से रहा है लगातार भाजपा का कब्जा
रायपुर, 5 मार्च (हि.स.)।रायपुर -कांकेर (एसटी) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के 11 लोकसभा (संसदीय) निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है।यह एसटी श्रेणी की संसद सीट है। इसमें संपूर्ण बालोद जिला शामिल है। इसमें धमतरी जिले का हिस्सा और. सम्पूर्ण कांकेर जिला एवं. कोंडागांव जिले का कुछ हिस्सा भी आता है ।कांकेर (एसटी) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की साक्षरता दर 62.97 प्रतिशत है ।कांकेर लोकसभा सीट पर 1998 के बाद से लगातार भाजपा का कब्जा है। यहां से भाजपा ने पांच बार लोकसभा का चुनाव जीता है ,जबकि कांग्रेस के नाम 6 बार चुनाव में जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड है। एक बार जनता पार्टी और एक बार जनसंघ ने कांकेर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी।भोजराज नाग को भाजपा ने कांकेर लोकसभा सीट से अपने सिटिंग सांसद मोहन मंडावी का टिकट काट कर अपना प्रत्याशी बनाया है।
कांकेर (एसटी) संसद सीट पर एससी मतदाता लगभग 91,745 हैं ।जबकि एसटी मतदाताओं की संख्या लगभग 735,513 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 47.3प्रतिशत है।कांकेर (एसटी) संसद सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 37,347 है जो मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार लगभग 2.4 प्रतिशत है।कांकेर (एसटी) संसद सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 1,385,501 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 89.1प्रतिशत है।यहां पर शहरी मतदाता लगभग 169,494 हैं जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 10.9प्रतिशत है।2019 के संसदीय चुनाव के अनुसार कांकेर (एसटी) संसद सीट के कुल मतदाताओं की संख्या1558952 रही है। जबकि यहां 2019 के संसदीय चुनाव में मतदान का प्रतिशत 74.1 रहा है।कांकेर संसदीय कांकेर संसदीय क्षेत्र में सिहावा(एसटी),संजारी बालोद ,डोंडीलोहारा(एसटी) ,गुंडरदेही,अंतागढ़ (एसटी),भानुप्रतापपुर(एसटी) ,कांकेर (एस टी ),केशकाल(एसटी) विधानसभा के सीट शामिल है।
भोजराज नाग को भाजपा ने कांकेर लोकसभा सीट से अपने सिटिंग सांसद मोहन मंडावी का टिकट काट कर अपना प्रत्याशी बनाया है।वे 2014 में अंतागढ़ विधानसभा में हुए उप चुनाव में विधायक निर्वाचित हुए थे। लंबे समय से बस्तर क्षेत्र में आदिवासी धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाते आ रहे हैं।
भोजराज नाग का जन्म 7 अप्रैल 1972 को ग्राम हिमोड़ा जिला कांकेर में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वर्गीय लक्ष्मीनाथ नाग है। भोजराज नाग नवीं कक्षा तक पढ़े हैं। उनका व्यवसाय कृषि है। भोजराज नाथ का विवाह 4 जून 1990 को साधना नाग के साथ हुआ है। उनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं।
भोजराज नाग ने अपने राजनीति की शुरुआत अपने गांव हिमोड़ा के सरपंच के रूप में वर्ष 1992 में की थी। साल 2000 से 2005 तक वे जनपद सदस्य निर्वाचित होने के बाद जनपद पंचायत अध्यक्ष अंतागढ़ रहें। फिर 2009 से 2014 तक जिला पंचायत सदस्य भी रहे। 2007 से 2010 तक जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संगठन मंत्री भी रहे। जनजाति समाज के उत्थान एवं नशा मुक्ति हेतु भोजराज नाग ने निरंतर कार्य किया। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी रहे।
वर्ष 2014 में अंतर्गत विधानसभा में हुए उपचुनाव में भोजराज नाथ विधायक निर्वाचित हुए थे। इस चुनाव में भाजपा की टिकट से भोजराज नाग चुनाव लड़ रहे थे, जबकि कांग्रेस की टिकट से कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार चुनाव लड़ रहे थे। अंतिम समय में मंतूराम पवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया। जिसके चलते भोजराज नाग को वॉक ओवर मिल गया। भोजराज नाग को इस चुनाव में 36616 वोट मिले थे। 2018 के चुनाव में भोजराज नाग का टिकट काट दिया गया। 2023 में भी भोजराज नाग को टिकट नहीं मिला। वे फिर भी भाजपा संगठन से जुड़कर कार्य करते रहे।
भोजराज नाग आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं। जून 2022 में कांकेर जिले के पखांजूर में किसान आंदोलन को समर्थन दे अपनी गिरफ्तारी दी थी। भोजराज नाग जनता के मुद्दे से लगातार जुड़े रहे हैं और लोगों की समस्याओं पर धरना प्रदर्शन करते रहे हैं। कांकेर लोक सभा सीट से प्रत्याशी भोजराज नाग बस्तर में लगातार आदिवासी धर्मांतरण के खिलाफ आंदोलन करते रहे हैं। बस्तर में धर्मांतरण के विरोध में निकाली गई राय ली और आंदोलन के मुख्य नेतृत्वकर्ता रहे हैं।
1967 में कांकेर लोकसभा सीट के वजूद में आने के बाद से अब तक यहां कुल 13 चुनाव हो चुके हैं। इसमें से मात्र 6 उम्मीदवार ही भाग्यशाली रहे और एक से अधिक बार की जीत हासिल की है।
कांग्रेस के अरविंद नेताम 5 बार तो भाजपा के सोहन पोटाई 4 बार सांसद का ताज पहन चुके हैं। जब भी ये प्रत्याशी चुनाव लड़े ,इन्हें हर बार मतदाताओं ने सर आंखों पर बैठाया। लेकिन बाद में पार्टी के ही आंखों में किरकिरी बन गए और उनकी टिकट काट उन्हें किनारे लगा दिया गया। बाकी जीते हुए शेष 4 प्रत्याशी में से एक स्व. अघन सिंह ठाकुर सांसद के बाद विधायक भी बने। कांकेर लोकसभा के प्रथम सांसद टीएलपी शाह तथा अरविंद नेताम की पत्नी छबीला नेताम भी एक-एक बार ही सांसद बने।इसके अलावा 1967 कांकेर के पहले चुनाव में टीएलपी शाह, 1977 में अघन सिंह तथा 1996 में छबिला नेताम ने जीत हासिल कर कांकेर का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा संसदीय सचिव के पद पर रहे देवलाल दुग्गा तथा राज्यमंत्री रही गंगा पोटाई जैसे दिग्गजों ने भी चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हो पाए। अब तक के 64 प्रत्याशियों में कई ऐसे भी थे जो बार-बार चुनाव लड़ते रहे लेकिन कभी सफल नहीं हो पाए।वर्ष 1967 में टीएलपी शाह,1977 में अघन सिंह ठाकुर फिर 1980 ,1984,1989,1991 के सांसद अरविन्द नेताम रहे हैं ।वर्ष 1996 में छबीला नेताम और 1998 ,1999 से2011 तक लगातार सोहन पोटाई सांसद रहे हैं।इसके बाद 2014 से विक्रम उसेंडी सांसद रहे हैं।वर्तमान में भाजपा के मोहन मंडावी यहाँ से सांसद है।
हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा