झीरम घाटी हत्याकांड मामले को लेकर कांग्रेस ने पूछा केंद्र की भाजपा सरकार किसे बचाना चाहती है
रायपुर, 21 नवंबर (हि.स.)।झीरम घाटी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट के मंगलवार को दिए गये फैसले में एन आई ए की याचिका को खारिज किये जाने को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन किया।पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने भाजपा सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किये। पीसी को संबोधित करते हुए विनोद वर्मा ने पूछा कि आखिर केंद्र की भाजपा सरकार किसे बचाना चाहती है?
विनोद वर्मा ने बताया कि इस हत्याकांड की जांच में जुटी एनआईए ने 2014 में पहला, जबकि 2015 में दूसरा चालान पेश किया था। दोनों ही चालान में नक्सलियों के शीर्ष नेता गणपति और रमन्ना के नाम का जिक्र नहीं था। जबकि जांच के दौरान दोनों के नामों का जिक्र होता रहा था। एनआईए की दलील थी कि चूंकि इस हत्याकांड को नक्सलियों के दंडकारण्य कमेटी ने अंजाम दिया था लिहाजा बड़े नेताओं का नाम नहीं है।
विनोद वर्मा ने कहा, हमारी सरकार आने के बाद एक एफ़आईआर दर्ज की गई थी। छत्तीसगढ़ पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू की थी। जिसके बाद एनआईए ,ट्राइल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई। सभी जगहों से इनकी याचिका खारिज कर दी गई है, जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ पुलिस जांच कर पूरे षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करने वाली है।
उन्होंने कहा कि इस राजनैतिक षड्यंत्र को दंडकारण्य समिति जैसी छोटी समिति नहीं कर सकती है,आख़िर किसको बचाने के लिए गणपति और रमन्ना का नाम हटाया गया था।इससे पहले जांच के दौरान एनआईए ने इन दोनों नेताओं को भगोड़ा भी घोषित किया था और संपत्ति कुर्क करने की नोटिस निकाली थी। एनआईए ने अपने चालान में कह दिया था झीरम घाटी का षड़यंत्र दंडकारण्य जोनल कमेटी ने रचा था।जो थोड़ा बहुत भी नक्सली संगठन और उसके ढांचे को समझते है , वह बता सकते हैं कि इतना बड़ा षड़यंत्र शीर्ष नेतृत्व के बिना नहीं रचा जा सकता। केंद्र सरकार किसको बचाने के लिए काम कर रही थी। इस पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच की बात डॉ. रमन सिंह ने की थी, लेकिन समय रहते सीबीआई ने पूरे मामले की जांच करने से इनकार कर दिया था।लेकिन फिर भी रमन सिंह ने पूरे मामले को छुपाए रखा था।सीबीआई जांच नहीं करेगी, इस बात को रमन सिंह को बताना चाहिए था।
विनोद वर्मा ने कहा कि झीरम कांड की जांच के लिए जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग का गठन किया गया है। इस जांच ने आयोग के दायरे में भी कई महत्वपूर्ण सवाल छोड़ दिए थे। इस आयोग के जांच बिंदु को सरकार तय करती है।कांग्रेस की सरकार ने महसुस किया कि आयोग की जांच का दायरा पर्याप्त नहीं है। तब जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग के कार्यकाल और जांच का दायरा आगे बढाया गया। क्योंकि जस्टिस मिश्रा तब तक उपलब्ध नहीं थे तब नई नियुक्ति की गई।लेकिन नेता प्रतिपक्ष होते हुए धरमलाल कौशिक हाईकोर्ट जाते हैं और आयोग की जांच का दायरा नहीं बढ़ाने के लिए याचिका लगाते हैं। आख़िर धरमलाल कौशिक ने किसके बोलने पर याचिका लगाई थी।डॉ. रमन सिंह की विकास यात्रा पर पर्याप्त बल दिए जाते हैं। इस पूरे यात्रा में हजारों पुलिस कर्मी तैनात थे, लेकिन कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में केवल 138 पुलिसकर्मी, बस्तर जैसे घोर इलाके में लगाए गए थे। जबकि हमारे नेताओं को जेड प्लस सुरक्षा दी गई थी।एजेंसी ने यह जांच नहीं कि थी कि इस हत्याकांड का षड़यंत्र किसने रचा था।यह सिर्फ नक्सली हमला था या इसके पीछे राजनैतिक षड़यंत्र भी था।कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा ने जनवरी 2013 में अपनी सुरक्षा बढ़ाने का पत्र लिखा था।लेकिन रमन सिंह सरकार ने ध्यान नहीं दिया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्र की भाजपा सरकार क्यों नहीं चाहती कि व्यापक राजनीतिक षड़यंत्र की जांच हो ।
हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा