भिलाई में 28 जुलाई को जबर हरेली रैली का आयोजन

 


धमतरी, 28 जुलाई (हि.स.)। भिलाई शहर में छग संस्कृति को सहेजने के लिए 28 जुलाई को जबर हरेली रैली का आयोजन हुआ। आयोजन में शामिल होने के लिए रविवार सुबह धमतरी शहर से क्रान्ति सेना धमतरी के सदस्य रवाना हुए। आयोजन में विशाल सांस्कृतिक आयोजन प्रकृति देवता को समर्पित हरेली की छटा बिखरी। भिलाई में छत्तीसगढ़ महतारी और हसदेव बचाव झांकी मुख्य आकर्षण रहा। गुड़ के चीले अउ ठेठरी खुरमी का महाप्रसाद बंटा।

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिलाध्यक्ष रोशन साहू व निखिलेश देवान ने बताया कि, छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के तत्वावधान में आंबेडकर मूर्ति, पावरहाउस भिलाई से लगातार सातवीं बार जबर हरेली रैली निकाली गई। इस रैली में हजारों लोक कलाकार एवं लाखों छत्तीसगढ़ियाजन शामिल हुए। छग का प्रथम त्योहार हरेली उल्लासमय वातावरण में मनाते चलेंगे। सुसज्जित बैलगाड़ियों का जूलूस, बस्तरिहा रेला-पाटा, गेड़ी, पंथी, करमा, सुवा, राऊत नाचा, डंडा नृत्य किया गया। कार्यक्रम के सहारे प्रकृति के साथ-साथ अपनी मूल संस्कृति को बचा कर रखने का संदेश दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ महतारी और छत्तीसगढ़िया महापुरुषों की झांकी, हसदेव जंगल रक्षा का संदेश देती चलित झांकी रैली विशेष आकर्षण रही। साथ में महिला पंथी दल का गतिमान नृत्य एवं छत्तीसगढ़ के मार्शल आर्ट “अखाड़ा” के रुप में छत्तीसगढ़ियों का शौर्य प्रदर्शन हुआ। विशाल जन-समूह के साथ चलती रैली आगे जाकर रिसाली दशहरा मैदान पहुंची। वहां हल एवं कृषि औजारों की पूजा हुई। छत्तीसगढ़ महतारी, बुढ़ादेव एवं पुरखा देवताओं की महाआरती की गई। उसके बाद छत्तीसगढ़ियों की दशा-दिशा को दर्शाता स्व.प्रेम साईमन रचित नाट्य “घर कहाँं हे?” का मंचन हुआ।

“जबर हरेली रैली” छग की मूल संस्कृति को बचाने एक आंदोलन है

निखिलेश देवान ने कहा कि “जबर हरेली रैली” छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति को जिंदा रखने का एक सांस्कृतिक आंदोलन है । यह लगातार हो रहे आयातित बाहरी सांस्कृतिक आक्रमणों से छत्तीसगढ़ियापन को बचाने का एक सार्वजनिक संकल्प है। हरेली प्रकृति की सुरक्षा का महापर्व है । प्रदेश की खेती जमीन, हसदेव जैसे जंगल, नंदीराज जैसे पहाड़ों और सैकड़ों प्राकृतिक जलस्रोतों को आज खदानों और उद्योग दानवों को भेंट चढ़ाया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों के द्वारा एकजुट होकर हम अपने भटके हुए नीति-निर्धारकों को उनकी गलत नीतियों को ठीक करने का कठोर संदेश दे पाएंगे जो हर पल हमारे प्राकृतिक संसाधनों का बाजार लगाकर सौदा करते जा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा / गायत्री प्रसाद धीवर