इंद्रावती टाइगर रिजर्व में तीन और गिद्धों को जीपीएस लगाकर छोड़ने की चल रही तैयारी
जगदलपुर, 28 दिसंबर (हि.स.)। इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर क्षेत्र और उससे लगे गांवों में 300 गिद्ध से अधिक पाए जा रहे हैं, यह सभी गिद्ध संकटग्रस्त प्रजाति के हैं। अब इनके संरक्षण की दिशा में एक खास पहल की गई है । लगभग 8 माह पूर्व आईटीआर क्षेत्र से दो गिद्धों की जीपीएस ट्रैकर लगाकर छोड़ा गया है, जीपीएस लगे हुए गिद्ध 8 माह में लगभग 100 किमी दूर तेलंगाना एवं महाराष्ट्र में ही घूम रहे हैं । इसके चलते रिजर्व ने तीन और गिद्धों को भी जीपीएस लगाकर छोड़ने की तैयारी की जा रही है, इससे ये गिद्ध तेलंगाना, महाराष्ट्र के अलावा दूसरे राज्यों में जा सकें। रिजर्व एवं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के एक्सपर्ट ने तीनों गिद्धों छोड़ने के पहले मेडिकल जांच और मॉफोर्मेट्री की जाएगी । गिद्धों पर जीपीएस लगने से उनकी दिनचर्या, हर हरकत, सुरक्षा और लोकेशन का पता लग सकेगा। जीपीएस ट्रैकर के माध्यम से बाकी गिद्धाें की गतिविधि और लोकेशन का डाटा तैयार किया जाएगा। सैटेलाइट टैग के माध्यम से इनकी हर गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। साथ ही गिद्धों के भोजन, पानी की स्थिति और आवास स्थल की भी जानकारी ली जाएगी। आईटीआर के विशेषज्ञ सूरज नायर ने गिद्धों के संरक्षण के लिए रिजर्व से सटे गांव मेनूर, बामनपुर, मददेड़ क्षेत्र में 6 गिद्ध मित्र बनाए, जो गिद्ध का सर्वेक्षण, रहवास के स्थान, इनके आबादी का अवलोकन, इनके वंशनाश के कारण स्थानीय ग्रामीणों में जागरूकता का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर के निदेशक संदीप बलगा ने बताया कि गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका संरक्षण न केवल जैव विविधता की रक्षा हेतु आवश्यक है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दृष्टि से भी अनिवार्य है। इसलिए अब शीघ्र ही तीन और गिद्धों को जीपीएस लगाकर छोड़ा जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे