बिजली के दामों में बढ़ोतरी जनता के ऊपर अत्याचार : कांग्रेस
रायपुर, 1 जून (हि.स.)। बिजली के दामों में बढ़ोतरी जनता के ऊपर अत्याचार है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि राज्य सरकार के प्रस्ताव पर विद्युत नियामक आयोग ने विद्युत के दामों में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दिया है, यह अनुचित है। भाजपा सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण छत्तीसगढ़ का आम आदमी परेशान हो गया है। साय सरकार नागरिकों को हर तरफ से परेशान करने की नीयत से काम कर रही है।
सरकार ने रजिस्ट्री छूट को समाप्त किया, ईवे बिल को समाप्त किया, अब बिजली बिल के दाम में बढ़ोतरी कर दिया गया। बिजली के दाम बढ़ने से घरेलू के साथ-साथ उद्योगों और व्यवसायिक उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदने को मजबूर होना पड़ेगा। उद्योगों को महंगी बिजली मिलेगी तो उनके उत्पादों का महंगा होना स्वाभाविक है। ऐसे में आम आदमी पर दोहरी मार पड़ेगी। भाजपा की नीयत कमीशनखोरी करना है, उसे आम आदमी की सहूलियतों से कुछ लेना देना नहीं है।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पिछले पांच माह में विद्युत सरप्लस वाला छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कटौती का केंद्र बन गया है। कोई ऐसा दिन नहीं होता जब बिजली दो चार घंटे के लिये बंद न हो, रात में तो बिजली की स्थिति तो और भयावह हो जाती है। घंटो बिजली गोल हो जाती है। भाजपा से न सरकार संभल पा रहा और न ही व्यवस्थायें। सरकार एक तो पूरे समय बिजली नहीं दे पा रही ऊपर से उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का बोझ डाल रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में आम जनता को मांग के अनुसार बिजली नहीं मिल रहा है। बिजली कटौती और लो वोल्टेज की समस्या से शहर और गांव की जनता जूझ रहे हैं। कांग्रेस की सरकार के दौरान 24 घंटा बिजली की आपूर्ति होती थी। गर्मी के दिनों में मांग बढ़ने पर दूसरे राज्यों से भी बिजली की खरीद किया जाता था और आम जनता को 24 घंटा बिजली की आपूर्ति की जाती थी। रवि फसल लगाने वाले किसानों को भी बोरवेल चलाने के लिए बिजली निःशुल्क मिलता था। कांग्रेस की सरकार के दौरान बिजली आपूर्ति निर्बाध गति से चले इसके लिए ट्रांसफार्मर के पावर बढ़ाए गए थे नए ट्रांसफार्मर लगाए गए थे। ट्रांसमिशनों को अपग्रेड किया गया। भाजपा की सरकार में पांच माह में ही बिजली की व्यवस्था चरमरा गई है, आम जनता सड़कों पर उतरकर बिजली की समस्या को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ चंद्रनारायण शुक्ल/केशव