जगदलपुर: त्रेता में श्रीराम ने किया था बस्तर के दंडकारण्य को भयमुक्त, कलयुग में श्रीराम का है इंतजार : शिक्षाविद् डा. बीएल झा
जगदलपुर, 16 जनवरी(हि.स.)। बस्तर संभाग का यह भू भाग त्रेता युग में दंडकारण्य कहलाता था, इतिहासकार एवं शिक्षाविद् डा. बीएल झा बताते हैं कि नासिक में गोदावरी के मुहाने से उत्कल प्रांत तक का समूचा भू-भाग दण्डकारण्य कहलाता था। इसी दण्डकारण्य में प्रभु राम ने खर-दूषण, ताडक़ा, सुबाहु, मारीच जैसे राक्षसों को मारकर जन सामान्य को भयमुक्त किया था। वर्तमान में श्रीराम वन गमन पथ का दंडकारण्य अब नक्सलवादियों का दंडकारण्य बन गया है, जिसे नक्सली अपने प्रभाव वाले इलाके को दंडकारण्य के नाम से उल्लेख करते हैं। बस्तर को नक्सलवाद रूपी असुरों से मुक्ति के लिए एक श्रीराम के जैसे किसी महामानव का इंतजार बस्तर को है।
बस्तर संभाग के दंडकारण्य में रावण के सहयोगी बाणासुर का राज्य था। जिसका विस्तार इन्द्रावती, महानदी और पूर्व समुद्र तट, गोदावरी तट तक तथा अलीपुर, पारंदुली, किरंदुली, राजमहेन्द्री, कोयापुर, कोयानार, छिन्दक कोया तक बाणासुर का राज्य था। वर्तमान बस्तर की बारसूर नामक समृद्ध नगर की नींव बाणासुर ने डाली थी, जो इन्द्रावती नदी के तट पर था। बाणासुर द्वारा स्थापित देवी दंतेवाडिऩ है। यह क्षेत्र आज-कल दंतेवाड़ा के नाम से जाना जाता है। इसी दंडकारण्य का ही हिस्सा है आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम। गोदावरी नदी के तट पर बसा यह शहर सीता-रामचंद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है। कहा जाता है कि श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान कुछ दिन इस भद्रगिरि पर्वत पर ही बिताए थे। स्थानीय मान्यता के मुताबिक सीता हरण के दौरान दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में गिरे थे। दंडकारण्य क्षेत्र की चर्चा पुराणों में विस्तार से मिलती है। इस क्षेत्र की उत्पत्ति कथा महर्षि अगस्त्य मुनि से जुड़ी हुई है। उपरोक्त बातों का उल्लेख वाल्मीकि रामायण, रामचरित मानस के अलावा बंगला कृतिवासी रामायण तथा महाकवि कालीदास की रघुवंश में किया गया है। वाल्मीकी रामायण के अरण्य काण्ड भगवान राम के वनवास काल में दण्डकारण्य में हुई घटनाओं का वर्णन करता है।
बस्तर के जाने माने शिक्षाविद् डा. बीएल झा बताते हैं कि कोई भी श्रीरामकथा दण्डकारण्य के वर्णन के बिना अधूरी होगी, चूंकि यहीं श्रीराम, लक्ष्मण और सीता ने अपने वनवास का समय व्यतीत किया था।
हिन्दुस्थान समाचार, राकेश पांडे