जिले में गुरू पूर्णिमा पर हुआ गुरुओं का सम्मान
धमतरी, 21 जुलाई (हि.स.)। धमतरी जिले में गुरु पूर्णिमा का पर्व उत्साह के साथ मनाया गया। इस खास दिन में धमतरी शहर के अलावा गांव में भी विविध कार्यक्रम हुए। देवालयों में भजन- कीर्तन, हवन पूजन का कार्यक्रम हुआ जिसमें सभी लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। इसके अलावा विभिन्न संस्थाओं में गुरुजनों का सम्मान किया गया
कोलियारी के साई बाबा मंदिर में गुरुपूर्णिमा पर्व मनाया गया। 21 जुलाई को कोलियारी में विराजमान श्री सांई बाबा मंदिर में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया। सुबह बाबा का मंगल स्नान के बाद, सत्यनारायण कथा हुई। कथा के बाद सांई भजन का कार्यक्रम हुआ, जिसमें शुभ- लाभ मानस परिवार व हंसवाहिनी भजन ग्रुप का मनमोहक भजन की प्रस्तुति दी गई। अंत में सांई प्रसादी खिचड़ी वितरण किया गया। शाम को धूप आरती के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ। मालूम हो कि छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला में ग्राम कोलियारी में महानदी के पवन तट पर श्री सांई बाबा का भव्य मंदिर है। यहां की मूर्ति जो विराजमान है वह मूर्ति शिर्डी में विराजमान श्री साई बाबा की मूर्ति की तरह है, जिसे दर्शन करने से शिर्डी की सांई बाबा की अनुभूति होती है।
गुरु पूर्णिमा पर जिला अस्पताल में फल वितरण
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को प्राचीन शिवयोग परंपरा के डा अवधूत शिवानंद और इशान शिवानंद के आशीर्वाद से धमतरी शिव योग साधक परिवार द्वारा मरीजों एवं परिजनों को फल व बिस्कुट का वितरण किया गया। इस अवसर पर योगेश्वर साहू, कौशल साहू, डॉ भूपेंद्र साहू,अंशु साहू, देवा राम, कीर्ति साहू, जितेंद्र गढ़वी, भीखम साहू,भोजराज साहू,चित्रसेन यादव, भुनेश्वर निषाद, राहुल तलूजा,बंटी तलूजा, शिशुपाल सिंह, गिरधारी लाल शर्मा, माधव साहू, जितेंद्र साहू, नम्रता साहू, लता साहू, सालिक गजपाल, अशोक साहू सहित अन्य शिवयोगी मौजूद थे।
ज्ञान अमृत इंग्लिश स्कूल धमतरी में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया गया
ज्ञान अमृत इंग्लिश स्कूल धमतरी में गुुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुुरु पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन में छात्र-छात्राओं द्वारा शिक्षकाें का तिलक लगाकर नारियल भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया। छात्र-छात्राओं द्वारा बारी-बारी से शिक्षकाें का चरण स्पर्श कर आर्शीवाद प्राप्त किया। छात्राें द्वारा गुरु भक्ति से संबंधित भजन, गीत, भाषण प्रस्तुत किया गया।
विद्यालय के प्रधानपाठिका पुश्पलता जाधव ने कहा कि आशाढ़ माह के पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी अपने बाल्य काल में भगवान की दर्शन करने की इच्छा जताई और वन जाने का आग्रह किया। उनकी माता ने वन जाने की आज्ञा नहीं दी, फिर व्यास जी वन जाने की हठ करके बैठ गए। पुत्र हठ से विवश होकर माता ने वन जाने की आज्ञा दे दी। मां के आशीर्वाद लेकर व्यास जी वन चले गए और वहां भगवान की तपस्या में लीन हो गए। तपस्यारत व्यास जी को देवकृपा से संस्कृत का ज्ञान हुआ और फिर उन्होंने वेदों की रचना आरंभ की। और जगत में वेदों के रचनाकार और गुरू के रूप में प्रसिध्द हुए। इसलिए व्यास पूर्णिमा को गुुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर छात्र.छात्राएं एवं समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा / चन्द्र नारायण शुक्ल