छत्तीसगढ़ सरकार गोमाता को राज्य माता घोषित करे : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
रायपुर, 12 फ़रवरी (हि.स.)। ज्योतिषपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ सरकार गोमाता को राज्य माता घोषित करे, जिससे राष्ट्र माता घोषित करने में केंद्र सरकार को सुविधा हो। सोमवार को वे रायपुर पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए यह मांग की। वे बेमेतरा और कवर्धा में आयोजित कार्यक्रमों में सम्मिलित होंगे। उन्होंने यह भी कि कहा कि संवाद स्थापित कर नक्सलियों के मन की गलत फैमियों को दूर करना पड़ेगा।
शंकराचार्य ने कहा कि आजादी का अमृतकाल चल रहा, गौहत्या बंद नहीं हुई। जो गौ हत्यारी दलों के साथ होगा उसे हिंदू नहीं मानेंगे। गौ हत्यारी पार्टियों को जो वोट देंगे, वह गौहत्या के पाप के भागी होंगे। लोकसभा को लेकर उन्होंने कहा कि चुनाव आने वाले हैं। इसलिए हम अमृत महोत्सव आजादी मना रहे हैं। देश वाले भी और प्रदेश वाले भी। हम किसी पार्टी को ध्यान में रखकर नहीं बोल रहे हैं। अपने हिंदू भाइयों को सनातन धर्मियों को ध्यान में रख करके बोल रहे हैं। गौ माता का मुद्दा हमारा बहुत पुराना मुद्दा है। हमारे जाने कितने लोगों ने गौ माता के लिए अपना बलिदान दिया है. देश की आजादी भी गौ माता के लिए हुई थी। मंगल पांडे को जब कहा गया कि कारतूस को मुंह से खोलो। लेकिन उसमें गाय की चर्बी थी तो उन्होंने मना कर दिया। चर्बी से ही अंग्रेजों की क्रांति हुई थी।
गाय का बड़ा योगदान है।उसी गाय की हत्या भी देश में हो रही है। तब तक सब राजनीति बेकार है। इसलिए हम लोगों ने तय किया है कि गो संसद करके हम प्रयाग से चले आ रहे हैं। 6 तारीख को वहां विराट गांव संसद हुई है। उसमें प्रस्ताव पारित हुआ है कि जो भी व्यक्ति गाय की हत्या से किसी भी रूप से जुड़ा हुआ है। इसको हम हिंदू कहना बंद करेंगे। उसके साथ संबंध समाप्त करेंगे और साथ ही साथ यह कहा है कि गौ हत्यारी पार्टियों को जो जनता हिंदू जनता को वोट देगी वो भी पाप के भागीदारी होंगे।
उन्होंने कहा कि जहां गायों के साथ अत्याचार हो रहा है वहां भी जाएंगे। यह गौ भक्त प्रदेश है। यहां गाय के प्रति अन्याय नहीं होता है। इसलिए हम चाहते हैं कि उन्हें पूर्ण रूप से संरक्षित किया जाए।
ज्ञानव्यापी में पूजा हिंदुओं का अधिकार-ज्ञानव्यापी में पूजा शुरू होने पर उन्होंने कहा कि इसी तरह की जितनी भी व्यापियां हैं, जहां-जहां हमारे साथ अत्याचार हुआ है, वहां-वहां हम फिर से जाएंगे। जाकर अपनी पूजा अर्चना प्रारंभ करेंगे। यह हिंदुओं का अधिकार है। राजनीति में धर्म के प्रयोग को लेकर शंकराचार्य ने कहा कि राजनीतिक लोग धर्म का प्रयोग राजनीतिक लिए कर रहे हैं। इसका मतलब हैजो भारत की जनता है उसके मन में धर्म प्रमुखता से छाया हुआ है। धार्मिक मामले उसके दिमाग में घुसते रहते हैं। इसीलिए राजनीतिक लोग इसका लाभ लेने के लिए धर्म का प्रयोग राजनीति में करते हैं।शंकराचार्य ने कहा कि जहां वैमनस्यता फैले, कटुता फैले, विद्वेष फैले, अलगाव जारी हो इसका मतलब है वह धर्म नहीं है। धर्म तो सीमेंट है,जो दो ईटों को जोड़कर के एक बनाने का काम करता है।लेकिन यदि किसी कारण से देश में विद्वेष फैल रहा है, तो वह धर्म नहीं है। वह धर्म के नाम पर अधर्म है।
चंदखुरी कोशल्या माता मंदिर में भगवान राम की मूर्ति बदले जाने के बयान पर अविमुक्तेश्वरानंद महराज ने कहा कि जिस समय देवता प्रतिष्ठा होते हैं, उस समय जो मूर्ति होती है उस पर उसी समय विचार होता है। एक बार प्रतिष्ठित होने के बाद फिर हम श्रृंगार करके जो कोई कमी भी है उसे दूर कर देते हैं। भगवान जहां विराजमान हो जाते हैं तो उसका सब कुछ मधुर है। जहां भगवान विराजमान हो जाएंगे वहां सौंदर्य ही सौंदर्य होगा। विराजमान भगवान के अंदर अगर कोई सौंदर्य नहीं दिख रहा है तो अपने आंखों की ही खोट कही जाएगी।
शराबबंदी को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार शराब पिला रही है। जब लॉकडाउन लगा था सबसे पहले शराब की दुकान खोली गई थी। सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है, तो सरकार अपने तथ्यों के लिए जिसके कारण अपराध बढ़ता है, उसको बढ़ा रही है। सबसे पहले सरकार उसे ही बंद करे।
हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा